5 दिन में ‘100 से बढ़कर 125’ .. सोयाबीन तेल ने बिगाड़ा गणित

भोपाल। किसानों के आंदोलन के बीच सोयाबीन तेल की कीमतें मात्र 5 दिन में ₹100 से बढ़कर ₹125 प्रति लीटर हो गई हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले समय में यह कीमतें ₹150 के पार जा सकती हैं। इससे हर महीने 5 लीटर तेल का उपयोग करने वाले परिवारों पर ₹150 से ₹180 का अतिरिक्त भार पड़ सकता है। इसका मतलब है कि सालाना खर्च में केवल सोयाबीन तेल की कीमतों में वृद्धि से लगभग ₹2,000 का इजाफा होगा।
केंद्र सरकार ने 14 सितंबर को कच्चे खाद्य तेलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी को 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया। इस निर्णय के साथ ही एक हफ्ते में रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत में ₹25 से ₹30 प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। सोयाबीन के मंडी भाव में भी ₹700 से ₹900 की तेजी देखी गई है।
कच्चे तेल पर बढ़ता शुल्क
कच्चे सोयाबीन ऑयल, कच्चे पाम ऑयल और कच्चे सनफ्लॉवर ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 0 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की गई है, जिससे कच्चे तेल पर प्रभावी शुल्क दर 27.5 प्रतिशत हो गई है। रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल और रिफाइंड सोयाबीन ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 12.5 प्रतिशत से बढ़कर 32.5 प्रतिशत हो गई है।
पाम ऑयल का मिश्रण
बाजार में बिकने वाले सोयाबीन तेल में 40 से 60 प्रतिशत पाम ऑयल मिलाया जाता है। सरकार के इस फैसले से पाम ऑयल की कीमतें भी प्रभावित हो रही हैं, जो पहले ₹3985 प्रति सौ लीटर यानी लगभग ₹40 प्रति लीटर थी। इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने के साथ, इसकी कीमतें ₹900 प्रति 100 किलो तक बढ़ सकती हैं।
ऑयल सीड इंडस्ट्री की स्थिति
भारत में ऑयल सीड इंडस्ट्री पिछले कुछ वर्षों से बीज खरीदकर तेल उत्पादन करने से ज्यादा विदेशों से तेल आयात करने में परिवर्तित हो गई है। इस बदलाव का कारण यह है कि यहां से बीज खरीदकर कच्चा तेल बनाना महंगा पड़ता है। 1 किलोग्राम सोयाबीन ₹50 में खरीदा जाता है, जिसमें से केवल 17 से 18 प्रतिशत तेल निकलता है, जबकि शेष 80 से 82 प्रतिशत सोया डिओसी (डि ऑयल केक) निकलता है।
इम्पोर्ट ड्यूटी की वजह से जो इंडस्ट्री सोयाबीन से तेल निकाल रही थी, वह घाटे में थी। इसलिए उन्होंने सोयाबीन तेल में 40 प्रतिशत पाम ऑयल या 60 से 80 प्रतिशत सस्ता कच्चा सोयाबीन तेल मिलाकर बेचना शुरू कर दिया, जिससे बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतें कम थीं।