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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं रुका बुलडोजर!

उत्तर प्रदेश बहराइच: सुप्रीम कोर्ट ने हाल के दिनों में देशभर में चल रहे ‘बुलडोजर न्याय’ और विध्वंस की कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन ये आदेश केवल कागजी साबित हो रहे हैं। बुलडोजर अपनी रफ्तार से मुसलमानों के घरों और दुकानों को गिरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ताजा कार्रवाई उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई है, जहाँ 40-50 साल से रह रहे 23 मुस्लिम परिवारों के घरों को अचानक तोड़ दिया गया और उन्हें बेघर कर दिया गया।

बहराइच में 23 मुस्लिम परिवारों के घरों पर बुलडोजर चला

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के सराय जगना गांव में 23 मुस्लिम परिवारों के मकानों को यह कहकर गिरा दिया गया कि वे सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रहे थे। ये सभी घर करीब चालीस साल पहले बनाए गए थे और यहाँ गरीब परिवार रहते थे। इसके अलावा, प्रशासन ने 100 से अधिक दुकानों और मकानों को नोटिस भी जारी किया है, जिससे पूरे गांव में भय का माहौल है। हर व्यक्ति डरा हुआ है कि कब उसका घर गिरा दिया जाएगा और वह सड़क पर आ जाएगा।

प्रशासन की कार्रवाई के बाद परिवार बेघर

विध्वंस की कार्रवाई के बाद ये 23 परिवार अब सड़कों पर आ गए हैं। बच्चों और महिलाओं ने अपनी व्यथा व्यक्त की है कि वे अब कहाँ जाएंगे और उनके लिए भोजन का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है। अब घर से बेघर होने के बाद उन्हें सिर छुपाने के लिए भी कोई जगह नहीं बची है। ये सभी लोग अपने टूटे हुए घरों के सामने, बारिश के मौसम में, अपने घर का सामान लेकर बैठे हुए हैं।

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रास्ते के विवाद से शुरू हुआ मामला

रिपोर्ट के अनुसार, गाँव के दो लोगों के बीच रास्ते को लेकर विवाद हुआ था। गुढ़िया उर्फ हदीसन को अधिक रास्ता चाहिए था जबकि पड़ोसी जावेद केवल तीन फीट का रास्ता दे रहे थे। यह विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाईकोर्ट तक पहुँच गया। डेढ़ साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय तो मिला, लेकिन किसे पता था कि इस बहाने प्रशासन पूरे गाँव में तबाही मचा देगा। अदालत की कार्रवाई के बाद जमीन की नाप-जोख शुरू हुई, और इस दौरान प्रशासन को पता चला कि जिस जमीन के लिए विवाद चल रहा था, वह असल में सरकारी है। इसके बाद इलाके के सभी 129 परिवारों को नोटिस दिया गया और उनसे अवैध कब्जे हटाने के लिए कहा गया। पहले चरण में 23 मकानों को तोड़ दिया गया, और अब ये सभी लोग बेघर होकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं।

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