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असम में नहीं रुका बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को आदेश दिया था कि कोर्ट की इजाजत के बिना बुलडोजर की कार्रवाई न की जाए। हालांकि, इस आदेश के बावजूद असम में शिकायतें आती रहीं कि अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने असम के सोनापुर में हो रहे अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन को रोकते हुए, वहां रहने वाले लोगों को हटाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने असम सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के वकील अदील अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इन लोगों के घरों को बिना किसी नोटिस के अवैध निर्माण घोषित कर दिया गया और अचानक बुलडोजर भेज दिए गए। याचिका में यह भी कहा गया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई है, तो यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।

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कानूनी प्रोटोकॉल का उल्लंघन: याचिका में आरोप

48 याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया कि अधिकारियों ने कानूनी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया और लोगों को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही उनके घरों को तोड़ा गया। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए असम सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है और तब तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

प्रशासन का पक्ष
प्रशासन ने इन निर्माणों को अवैध बताते हुए दावा किया है कि आदिवासी क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण करके घर बनाए गए थे। इसलिए इन घरों को तोड़ा गया।

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