दिल्ली में कई पुरानी इमारतें और ऐतिहासिक स्थल ऐसे हैं, जिन पर आजकल लोग अपनी रिहायश बना चुके हैं। इनमें से कुछ पुराने मस्जिदों और मकबरों की दीवारों को भी अपने घर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ समाजिक संगठनों ने तो इन पुरानी इमारतों पर कब्जा कर लिया है और वहां शॉपिंग मॉल्स और दुकानें बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में एक मकबरे पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
सुप्रीम कोर्ट ने आरडब्ल्यूए को फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शेख अली की गुमती वाले मकबरे पर एक रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) द्वारा किए गए अवैध कब्जे के मामले में कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, “आप इस तरह से अवैध कब्जा कैसे कर सकते हैं?” इस मामले में, कोर्ट ने अगस्त में सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया था, और सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी। इसके बाद, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ाई।
अवधि में कब्जा करने का दावा
इस दौरान, जब आरडब्ल्यूए के वकील ने कहा कि “हम वहां दशकों से हैं,” तो जस्टिस अमानुल्लाह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, “इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।” वकील ने फिर यह तर्क दिया कि “अगर हम नहीं होंगे तो वहां असामाजिक तत्व आ जाएंगे।” इस पर जस्टिस धूलिया ने जवाब दिया, “आप तो अंग्रेज़ों की तरह बात कर रहे हैं।”
मकबरे की भूमि पर शॉपिंग मॉल का निर्माण
इस मामले में, एक याचिका में दावा किया गया था कि दिल्ली नगर निगम मकबरे के आसपास की ज़मीन पर शॉपिंग मॉल और मल्टी-लेवल पार्किंग बनाने की कोशिश कर रहा है। अप्रैल में, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) और सरकार ने अदालत को बताया कि उन्होंने कभी भी डिफेंस कॉलोनी रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA) को मकबरे की ज़मीन आवंटित नहीं की थी। अदालत ने इस पर ASI से सवाल किया कि उन्होंने कैसे DCWA को इस अवैध कब्जे की अनुमति दी। साथ ही, अदालत ने यह भी पूछा कि “आप 700 साल पुरानी इमारत के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं?”
मकबरे को हुए नुकसान की जांच के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति
अंत में, अदालत ने आदेश दिया कि इस अवैध कब्जे से मकबरे को हुए नुकसान की जांच के लिए एक एक्सपर्ट की नियुक्ति की जाएगी, जो 6 सप्ताह में अपनी रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत करेगा।