
नई दिल्ली। ऑन लाइन ठगी और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों के बीच यहां एक ऐसी कहानी निकलकर सामने आई है, जो ठगी से बचाने का रास्ता भी सुझाती है। असल में सहारनपुर की एक अस्पताल में काम करने वाली स्टाफ नर्स शाहीन (बदला हुआ नाम) को एक साइबर ठग ने डिजिटली अरेस्ट करने की कोशिश की। नर्स की सूझ-बूझ और सहकर्मी की सलाह ने उन्हें ठग के जाल में फंसने से बचा लिया।
जानकारी अनुसार यह घटना उस वक्त शुरू हुई, जब शाहीन को अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि उनका बेटा एक गंभीर अपराध (रेप और हत्या) में शामिल पाया गया है। कॉलर ने शाहीन को डराने के लिए उनके बेटे जैसी आवाज में रोते हुए बातचीत करवाई। रोने की आवाज सुनकर शाहीन घबरा गईं और कॉलर की मांग पर पैसे ट्रांसफर करने का मन बना लिया। इसी बीच शाहीन की सहयोगी स्टाफ नर्स ने समय रहते उन्हें सतर्क किया। उसने समझाया कि यह एक साइबर फ्रॉड हो सकता है और तुरंत फोन काटकर अपने बेटे से संपर्क करने को कहा। शाहीन ने बेटे से बात की तो पता चला कि वह पूरी तरह सुरक्षित है और ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं।
साइबर ठग का दुस्साहस
जब शाहीन ने ठग की चाल समझ ली और पैसे भेजने से मना कर दिया, तो ठग ने बार-बार कॉल करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, उसने शाहीन को खुद साइबर ठगी का तरीका सिखाने और इस काम में शामिल होने का ऑफर भी दे डाला। उसने दावा किया कि इस काम से उसे इज्जत और पैसा मिलता है। इस पर शाहीन ने न केवल ठग को खरी-खरी सुनाई, बल्कि उसे उसके गलत कामों के लिए लताड़ भी लगाई। उन्होंने ठग से कहा, तुम्हारा यह गुनाह तुम्हें दोजख में ले जाएगा।
साइबर सुरक्षा की सीख
यह घटना न केवल शाहीन के लिए बल्कि हर आम आदमी के लिए एक बड़ी सीख है। ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का नया तरीका अपनाकर लोगों को डराने और पैसे ऐंठने की कोशिश की है। ऐसे में सतर्क रहना और साइबर सुरक्षा के उपाय अपनाना बेहद जरूरी है।
महत्वपूर्ण सावधानियां:
- फोन कॉल पर निजी जानकारी साझा न करें।
- बिना पुष्टि किए किसी अनजान नंबर से आई मांग को पूरा न करें।
- अगर संदेह हो, तो तुरंत परिवार के सदस्य या पुलिस से संपर्क करें।
- ट्रू कॉलर या अन्य पहचान उपकरण का उपयोग करें।
- फ्रॉड कॉल्स की जानकारी साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर दें।
- साइबर क्राइम के इस युग में शाहीन जैसे सतर्क और जागरूक लोग ही इन ठगों को हराने में सक्षम हैं। उनकी सूझबूझ और सहकर्मी का साथ, दोनों ने मिलकर एक बड़ा आर्थिक नुकसान होने से बचा लिया।