BAZ Media की बुनियाद के पत्थर, मध्य प्रदेश के साहसी पत्रकार काशीनाथ जी का निधन
जबलपुर – रविवार देर शाम जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सोमवार दोपहर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका निधन शहर और प्रदेश भर के पत्रकारिता, प्रशासन, राजनीति और समाज में शोक की लहर छोड़ गया। काशीनाथ जी का योगदान पत्रकारिता के क्षेत्र में अपार था, और उनका नाम हमेशा पत्रकारिता जगत में सम्मान से लिया जाएगा। आज उनके निधन पर मुख्यमंत्री से लेकर महापौर तक, पार्षद से लेकर सांसद तक, मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर तक सब श्रृध्दांजलि अर्पित कर रहे हैं.
काशीनाथ शर्मा जी का नाम जबलपुर और मध्य प्रदेश की पत्रकारिता की दास्तान में हमेशा याद किया जाएगा। अफसर रैंक सरकारी नौकरी छोड़कर पत्रकारिता की राह अपनाने वाले काशीनाथ जी ने मध्यप्रदेश में सहारा समय से लेकर अग्निबाण तक कई संस्थानों को खड़ा किया. बेबाक और आजाद सोच के मालिक थे, काशीनाथ. उसूलो से समझौता नहीं किया. इसलिये जिंदगी में बहुत सी परेशानियां झेली, कई बार ऐसे मौके आए जब पूरा परिवार रहा. लेकिन ईमानदारी और निष्पक्ष पत्रकारिता का दामन आपने कभी नहीं छोड़ा.
काशीनाथ जी का बाज मीडिया परिवार से संबंध
बाज मीडिया परिवार हमेशा काशीनाथ जी का आभारी रहेगा. श्री काशीनाथ शर्मा बाज मीडिया संचालक शहबाज रहमानी के एक मात्र गुरु थे. शहबाज रहमानी को पत्रकारिता के क्षेत्र में लाने और पत्रकारिता में शून्य से संपादक तक का सफर तय कराने वाले काशीनाथ शर्मा जी ही थे. शहबाज बताते हैं कि जब वो 2014 में अपनी ज़िन्दगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे थे. तब काशीनाथ जी ने उन्हें अग्निबाण में इंटर्न रिपोर्टर के तौर पर जोड़ा और नये सिरे से पहचान और सम्मान दिलाया. उन्हें रिपोर्टिंग से लेकर लेखन तक के गुण सिखाए। अगर काशीनाथ जी का भरोसा और साथ न होता, तो वह कभी पत्रकार भी नहीं बन पाते।
काशीनाथ जी का जीवन: संघर्ष और संकल्प
काशीनाथ जी की जिंदगी संघर्षों से भरी हुई थी। वे एक खांटी समाजवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। उनकी पत्रकारिता में हमेशा सच्चाई और निष्ठा की झलक थी।
काशीनाथ जी ने पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई बदलावों को देखा, जैसे प्रिंट मीडिया से डिजिटल मीडिया तक के बदलाव। वे एक ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने तकनीकी रूप से पत्रकारिता के बदलाव को अपनाया और उसे अपनी कार्यशैली में उतारा। कंप्यूटर पर पेज मेकिंग से लेकर हिंदी फॉन्ट की तकनीक में बदलाव तक, काशीनाथ जी ने हमेशा नए तरीके अपनाए।
आखरी दिनो में वे डिजिटल मीडिया दा त्रिकाल के संस्थापक और संपादक रहे.
समाजवादी विचारधारा और गांधी-लोहिया से प्रभावित
काशीनाथ जी गांधी, लोहिया और नेहरू के विचारों से प्रभावित थे। वे हमेशा समाज में समानता और न्याय के पक्षधर रहे। उनके विचारों में जातिवाद और कट्टरपंथ के प्रति घोर विरोध था। समाज के हर वर्ग से जुड़े रहे और कई युवा पत्रकारों को अपने साथ जुड़ने का मौका दिया।
1974 में काशीनाथ जी ने समाजवादी विचारधारा को अपना लिया और प्रख्यात छात्र नेता शरद यादव से जुड़कर कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया। उनका यह संघर्ष हमेशा याद रहेगा। शरद यादव को पहला चुनाव जिताने वाले काशीनाथ जी ही माने जाते हैं.