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जबलपुर में बाबा साहब अंबेडकर के अपमान के विरोध में विशाल मशाल जुलूस, शाह का पुतला दहन

जबलपुर के मालवी चौक में एक विशाल मशाल जुलूस निकाला गया और गृहमंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के अपमान के खिलाफ था, जिसे गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में किए गए कथित बयानों से जोड़ा जा रहा था। इस प्रदर्शन का आयोजन विभिन्न सामाजिक संगठनों ने किया, जिनमें संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा, भीम आर्मी, राष्ट्रीय बौद्ध महासभा, ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के संगठनों और अल्पसंख्यक संगठनों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अमित शाह ने संसद में डॉ. अंबेडकर का अपमान किया, जिसे समाज के विभिन्न वर्गों ने अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य बताया। उनका कहना था कि गृहमंत्री के बयानों ने भारतीय संविधान के निर्माता और भारत रत्न से सम्मानित डॉ. अंबेडकर के योगदान को नीचा दिखाने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे लोकतंत्र के मंदिर में एक घिनौनी हरकत करार दिया।

संविधान और अंबेडकर के सम्मान की रक्षा की मांग

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इस गंभीर मुद्दे का संज्ञान लेना चाहिए और गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जानी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि जब तक अमित शाह का इस्तीफा नहीं लिया जाता, तब तक उन्हें किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने से रोक लगाई जानी चाहिए, ताकि भारतीय संविधान और डॉ. अंबेडकर के सम्मान को सही मायने में स्थापित किया जा सके।

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कार्यक्रम में शामिल प्रमुख नेता और कार्यकर्ता

इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें रामरतन यादव, नोखेलाल प्रजा, बैजनाथ कुशवाहा, घनश्याम यादव, एडवोकेट रामकिशोर शिवहरे, मोहम्मद मेहदी, इरफान उल हक अंसारी, अमरेश पटेल, रामकुमार पटेल, मुजाहिद अंसारी, मोहम्मद अहमद, डॉ. राजकुमारी बंसल, अमित पांडे, राजकुमार सिंह, संजू प्रजापति, धर्मेंद्र कुशवाहा, राहुल चौधरी, नरेश चक्रवर्ती, किशोरी लाल भलावी, नेम सिंह, इंद्र कुमार गोस्वामी, मुरारीलाल चक्रवर्ती, अमरदीप सिंह सग्गू, शहाबुद्दीन, मूलचंद मोरे, एडवोकेट परमानंद साहू, डॉ. बाल मुकुंद यादव, सुरेंद्र यादव, राजू विश्वकर्मा, सुजीत झरिया, सुशील जरेला, राजेंद्र पिल्ले, टीकाराम कोस्टा, भोला अहिरवार, बबलू प्रसाद, डॉ. राजू विश्वकर्मा, उदय भद्र बौद्ध, अमृतलाल बौद्ध, नंदलाल राम और पी पुष्कर सहित कई अन्य प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और नेता शामिल थे।

कार्यक्रम का उद्देश्य और संदेश

प्रदर्शनकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान और उसके निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति सम्मान की रक्षा के लिए है। उनका मानना था कि गृहमंत्री के बयान ने न सिर्फ डॉ. अंबेडकर का अपमान किया, बल्कि समाज के पिछड़े, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर भी हमला किया है। इसलिए, उन्होंने मांग की कि सरकार अमित शाह के बयानों पर सख्त कदम उठाए और उनका इस्तीफा लिया जाए।

सामाजिक संगठनों का एकजुट विरोध

इस विरोध प्रदर्शन में एकजुट हुए विभिन्न सामाजिक संगठनों ने यह संदेश दिया कि वे बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और उनके द्वारा स्थापित किए गए संविधान को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। उनका यह भी कहना था कि देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक संस्थान से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह बाबा साहब के विचारों और उनके योगदान को इस तरह से अपमानित करेगा।

प्रदर्शनकारी नेताओं ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर गृहमंत्री का इस्तीफा नहीं लिया गया और उनका कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन और भी तेज किया जाएगा और अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

Jabalpur Baz

बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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