National

छतरपुर घटनाः बुल्डोजर कल्चर से देश की सिविल सोसायटी में बढ़ती चिंता, सामने आए सांसद तन्खा, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बयान

न्याय सजा और बदले का मिटता फर्क..!
  • राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक हलकों में आज इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या न्याय, सजा और बदला तीनों एक ही है। या इनमें जमीन आसमान का फर्क है। छतरपुर में उपद्रवी तत्वों द्वारा पुलिस स्टेशन पर पथराव को हर कोई गलत और उनपर कानूनी कार्यवाही को हर कोई जरूरी बता रहा है। लेकिन जिस तरह से एक कांग्रेस नेता के मकान बिना जांच आनन फानन में बुल्डोज कर दिया गया।

छतरपुर में हुई घटना राष्ट्रीय सुर्खियों में है। देश की सिविल सोसायटी इस मामले खुलकर बोल रही है। जहां उपद्रवियों तत्वों द्वारा पुलिस स्टेशन पर किये गये पथराव को हर कोई गलत कह रहा है, साथ ही छतरपुर में शहजाद अली के मकान तोड़ने की कार्यवाही पर सवाल उठ रहा है। आज देश में एक सवाल यह भी आरोप लगते ही, आरोपी के परिवार को बेघर कर देना, न्याय है या बर्बरता है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगणी ने इस बुल्डोजर न्याय पर प्रतिक्रिया दी है।

पुलिस बदले की कार्यवाही.. संवैधानिक अधिकारों का हननः तन्खा

छतरपुर की घटना पर राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील श्री विवेक तन्खा ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि पुलिस स्टेशन पर पथराव करने वाले उपद्रवी तत्वों पर कार्यवाही पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अगर पुलिस बदले की कार्यवाही कर किसी व्यक्ति विशेष का घर और कार तोड़ती है। यह देश के कानून और संवैधानिक अधिकारों का हनन है। छतरपुर की घटना पर राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक कृष्ण तन्खा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर प्रतिक्रिया दी है।

विज्ञापन

श्री तन्खा ने कहा है कि ‘छतरपुर में उपद्रवी तत्व जिसने पुलिस स्टेशन पर पथराव किया, उसपर उचित पुलिस कार्यवाही पर कोई आपत्ति नहीं उठा सकता है। लेकिन अगर पुलिस बदले की कार्यवाही कर किसी व्यक्ति विशेष का घर और कार तोड़ती है। यह देश के कानून और संवैधानिक अधिकारों का हनन है।’

बुल्डोजर न्याय बंद होना चाहियेः प्रियंका गांधी

वहीं देश में बढ़ते बुल्डोजर कल्चर पर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियका गांधी ने भी चिंता जताई है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा है कि ‘अगर कोई किसी अपराध का आरोपी है तो उसका अपराध और उसकी सजा सिर्फ अदालत तय करती है। लेकिन आरोप लगते ही आरोपी के परिवार को सजा देना, उनके सिर से छत छीन लेना, कानून का पालन न करना, अदालत की अव्हेलना करना, आरोप लगते ही आरोपी का घर ढहा देना यह न्याय नहीं है। यह बर्बरता और अन्याय की पराकाष्ठा है।’

उन्होंने आगे कहा कि, ‘कानून बनाने वाले, कानून के रखवाले और कानून तोड़ने वाले में फर्क होना चाहिये। सरकारें अपराधी की तरह व्यवहार नहीं कर सकतीं । कानून, संविधान, लोकतंत्र और मानवता का पालन सभ्य समाज में शासन की न्यूनतम शर्त है। जो राजधर्म नहीं निभा सकता, वह न तो समाज का कल्याण कर सकता है, न ही देश का। उन्होंने कहा है कि बुल्डोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है, यह बंद होना चाहिये।’

इमरान ने उठाए सवाल

कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगणी ने अपने सोशल मीडिया आकउंट एक्स पर झारखंड में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किये गये पथराव की फोटो पोस्ट की है।

इमरान ने लिखा है कि ‘यह सारे पत्थर बाज झारखंड भाजपा के कार्यकर्ता हैं, पुलिस पर पत्थर फेंक रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री क्या इनके लिये वही बुल्डोजर न्याय स्वीकार करेंगे जो वो मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं।’

न्याय सजा और बदले का मिटता फर्क..!

गौरतलब है कि राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक हलकों में आज इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या न्याय, सजा और बदला तीनों एक ही है। या इनमें जमीन आसमान का फर्क है। छतरपुर में उपद्रवी तत्वों द्वारा पुलिस स्टेशन पर पथराव को हर कोई गलत और उनपर कानूनी कार्यवाही को हर कोई जरूरी बता रहा है। लेकिन जिस तरह से एक कांग्रेस नेता के मकान बिना जांच आनन फानन में बुल्डोज कर दिया गया। उसके घर में खड़ी कारों को बुलडोजर से कुचला गया, उसपर भी सवाल उठ रहे है।

पहला और सबसे बड़ा सवाल यही है कि पुलिस का काम बदला लेना है या फिर न्याय और सजा दिलाना है।

Back to top button

You cannot copy content of this page