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सीरिया से फिलिस्तीन तक: जमात-ए-इस्लामी हिंद की बैठक में क्या बोले नेता? जानें सभी अहम बातें!

हाल ही में देश की प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद की केंद्रीय शूरा परिषद (Advisory Council) की बैठक तमिलनाडु के एला ग्रे में गत सप्ताह आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में जमात के केंद्रीय और राज्य स्तरीय पदाधिकारियों ने भाग लिया और कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में खासतौर पर देश में मुस्लिम समुदाय की समस्याओं, देश की वर्तमान साम्प्रदायिक और आर्थिक स्थिति, और वैश्विक मुद्दों जैसे सीरिया और फिलिस्तीन की स्थिति पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

बैठक के दौरान जमात-ए-इस्लामी हिंद ने देश की मौजूदा साम्प्रदायिक और आर्थिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। परिषद ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वर्तमान में सरकार जनता की असल समस्याओं के समाधान पर ध्यान देने के बजाय साम्प्रदायिक मुद्दों को प्रमुख बनाकर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। “वन नेशन, वन इलेक्शन”, “वक्फ संशोधन बिल”, और “एक समान नागरिक संहिता” जैसे प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा गया कि ये मुद्दे केवल जनता का ध्यान गंभीर समस्याओं जैसे महंगाई, बेरोजगारी, और मणिपुर में जारी हिंसा से हटाने के प्रयास हैं, जो लोगों के जीवन को मुश्किल बना रहे हैं।

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जमात-ए-इस्लामी हिंद की शूरा परिषद ने यह भी चिंता व्यक्त की कि देश के कुछ हिस्सों में साम्प्रदायिक ताकतें मस्जिदों के आंगन में मंदिरों के चिन्ह खोजने की साजिश कर रही हैं। इस तरह की गतिविधियां पूजा स्थल सुरक्षा कानून का उल्लंघन हैं, लेकिन फिर भी नए मुद्दे उत्पन्न किए जा रहे हैं। बैठक ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन मुसलमानों को गलत तरीके से परेशान कर रहे हैं, और इन मुद्दों का राजनीतिक रूप से इस्तेमाल करके देश में एक चिंताजनक स्थिति उत्पन्न की जा रही है।

परिषद ने सरकार से यह अपील की कि वह इन मुद्दों को गंभीरता से ले और इनका समाधान न्यायपूर्ण तरीके से करे। इसके साथ ही, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने देश की अल्पसंख्यक समुदायों को अपने देश के विकास में बराबरी का हिस्सा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

बैठक में वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिसमें विशेष रूप से सीरिया और फिलिस्तीन की स्थितियों पर विचार किया गया। सीरिया में चल रहे संघर्ष के संदर्भ में, जमात-ए-इस्लामी हिंद की शूरा परिषद ने वहां के निरंकुश शासन के अंत पर खुशी व्यक्त की और इसे एक सकारात्मक कदम माना। परिषद ने सीरिया की अंतरिम सरकार से अपील की कि जल्द से जल्द वहां एक प्रतिनिधि सरकार बनाई जाए जो जनता की आकांक्षाओं और इच्छाओं के अनुरूप हो। बैठक ने यह भी कहा कि सीरिया के सभी वर्गों को देश के पुनर्निर्माण में समान अवसर मिलना चाहिए, और सीरिया में रह रहे शरणार्थियों को उनके देश वापस लौटने का अवसर मिलना चाहिए।

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इसके अलावा, केंद्रीय शूरा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से यह अपील की कि वे सीरिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचें और सीरिया के लोगों को प्राप्त आज़ादी का इस्तेमाल अपने निजी या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए न करें। परिषद ने सीरिया के नागरिकों के लिए शांति और स्थिरता की उम्मीद जताई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे सीरिया की पुनर्निर्माण प्रक्रिया में सहायता करें।

बैठक में इज़राइल द्वारा सीरिया पर किए गए हालिया आक्रमणों की भी कड़ी निंदा की गई। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इज़राइल की आक्रामक नीतियों को अलोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। परिषद ने अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतों से अपील की कि वे इज़राइल की आक्रामकता को रोकें और फिलिस्तीनी जनता के कानूनी अधिकारों की बहाली के लिए प्रभावी कदम उठाएं।

बैठक ने दुनिया भर के सभ्य देशों से यह आग्रह किया कि वे निर्दोष नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों, की मौतों का सिलसिला रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई करें और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत हों।

इस बैठक में जमात-ए-इस्लामी हिंद ने देश और दुनिया में शांति, न्याय और समानता की आवश्यकता पर जोर दिया। शूरा परिषद ने विशेष रूप से देश की राजनीतिक स्थिति, साम्प्रदायिक तनाव, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रचनात्मक और संवेदनशील कदम उठाने की अपील की। इस बैठक के दौरान पारित प्रस्तावों में सरकार से देश की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता और सक्रिय समाधान की उम्मीद जताई गई। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी शांति और सहयोग की दिशा में प्रभावी कदम उठाने की अपेक्षा की गई।

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