हड्डगोदाम हत्याकाण्डः टूटते घर और बिखरते समाज की कहानी

आयशा मर चुकी है। नाजिया अस्पताल में जिंदगी मौत से लड़ रही है। इमरान जेल जा चुका है। तीन घर बर्बाद हो चुके हैं।
हड्डीगोदाम हत्याकाण्ड को अगर सिर्फ एक घटना के तौर पर देखा जाए, तो कुछ दिन बाद सब उसे भूल जाएंगे। लेकिन इस हत्याकाण्ड में कई ऐसे पहलू हैं, जिसपर पूरे समाज को गौर करना चाहिये।

क्योंकि बीते कुछ सालों में जिस तरह से पारीवारिक विवाद बढ़े हैं। तलाक की घटनाएं बढ़ी हैं। पारीवारिक विवादों का जघन्य अपराधों में बदलने का ट्रेंड बढ़ा है। वो चौकाने वाला है। तेजी से बदलते समाज में यदि इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले सालों सामाजिक तानाबाना टूटने लगेगा, ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी।
जानकारों का मानना है, समाज की सतह पर जिम्मेदार इस दिशा में गौर फिक्र करें कि यह सब क्यों बढ़ रहा है। इसे रोकने या कम करने के लिये क्या करने की जरूरत है।

पूरे शहर में हत्या की चर्चा
गौरतलब है कि हनुमानताल थाना क्षेत्र में बड़ी साली की चाकू मारकर हत्या और पत्नी पर हमला कर गंभीर रूप से घायल करने के आरोपित इमरान को पुलिस ने मंगलवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार रानीताल निवासी इमरान कबाड़ का काम करता है। उसका पत्नी नाजिया (28) से विवाद चल रहा था। सात अप्रैल को नाजिया अपने हड्डी गोदाम स्थित मायके में रहने के लिए आ गई थी। पति सोमवार की देर रात को हड्डी गोदाम स्थित पत्नी के मायके में पहुंचा और दोनों में विवाद शुरू हो गया।

इसी दौरान पति ने नाजिया पर हमला कर दिया। नाजिया की चीखने की आवाज सुनकर उसकी बहन आयशा (32) आई और बीच-बचाव का प्रयास किया। इमरान को रोकना चाहा तो उसने पलटकर आयशा पर भी हमला कर मौत के घाट उतार दिया। वारदात में गंभीर रूप से घायल नाजिया को मेडिकल अस्पताल में भर्ती किया गया है। उपचार के बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार है। आज इमरान जेल में है। नाजिया अस्पताल में है और आयशा अब इस दुनिया में नही है।

गुस्सा अना और जिद की जंग …
अलग अलग कहानियां इस हत्याकाण्ड को लेकर बताई जा रही हैं। लेकिन बुनियादी बात जो सामने आ रही है वो यही है कि मियां बीवी के बीच होने वाले छोटे छोटे विवाद को घर के बड़ों ने समय पर समझाने और सुलझाने का प्रयास नहीं किया।
गुस्सा, जिद और अना की जंग में मामूली विवाद इस खौफनाक अंजाम पर पहुंच गया।
अब तक जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार इमरान कि जिद थी ईद घर पर हो, नाजिया की जिद थी वो ईद अपने मायके में करेगी। ईद के कुछ दिन पहले मायके हड्डी गोदाम आ गई। इमरान रोज उसे आने के लिये कहता रहा, नाजिया रोज ईद मायके में करने की बात दोहराती रही।
29 वें रोजे को इमरान अपने ससुराल नाजिया के घर पहुंचा। तब नाजिया सब्जी काट रही थी। इमरान ने चलने को कहा, नाजिया ने मना किया, दोनों में बहस हुई। गुस्से से आग बबूला इमरान ने नाजिया के हाथ से चाकू छीनकर, नाजिया पर हमला कर दिया। नाजिया की चीख सुनकर आयशा आई। इमरान ने उसपर भी चाकू चलाया, पहले ही वार में आयशा बेहोश होकर गिर गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

समाज की जिम्मेदारी ….
आज समाज में हर तीसरे घर में एक जैसी शिकायत सामने आ रही है।
बेटे और बेटी दोनों की माओं का जरूरत से ज्यादा बच्चों की जिंदगी में दखल देना। घर के बुजुर्गों का बच्चों की रहनुमाई न करना। आज घरों को बर्बाद करने और तोड़ने की वजह बन रहा है।
कहीं मां, बेटे की अंधी मोहब्बत में बहु को परेशान करती है। बेटे बहु के बीच दरार बनाती है। तो कहीं मां, बेटी की अंधी मोहब्बत में उसके ससुराल में हद से ज्यादा का दखल देती है। बेटी दामाद के रिश्ते खराब करती है। नतीजा तलाक, थाना कचहरी, मारपीट और कहीं कहीं हत्या तक के रूप में सामने आ रहे हैं। आज समाज के सरदारों की जिम्मेदारी है कि वो आगे आएं। इस दिशा में मंथन करें और जागरुकता को आम करें। वरना जिस स्पीड से पारिवारिक निजाम बिगड़ रहा है उसके बहुत खौफनाक नतीजा पूरे समाज पर आने वाले सालों में पड़ेंगे।।
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