पाटन नरसंहार: कौन है जिसने आसानी से निपट सकने वाले ‘विवाद को नरसंहार में बदल दिया’, स्थानीय पुलिस थाने और चौकी की खामोशी पर भी उठते सवाल

जबलपुर। आमजन कर रहे हैं, हत्याकांड की वजह कब्जा और जुआ है, पुलिस इस नरसंहार को चुनावी रंजिश से जोड़ती दिख रही है। लेकिन एक बात जो सब मान रहे हैं वह यह है कि यह नरसंहार अचानक हुई घटना नहीं थी. लंबे समय से इस नरसंहार के बीज पनप रहे थे। जिम्मेदारों ने अगर समय रहते ध्यान दिया होता तो यह नरसंहार कभी होता ही नहीं…
क्षेत्रीय जनों का आरोप है कि विवाद नरसंहार में बदलने से पहले कई बार थाने और चौकी की दहलीज तक पहुंचा। स्थानीय पुलिस अगर समय पर एक्शन लेती तो शायद कुछ भी न होता। लेकिन स्थानीय पुलिस की खामोशी और चुप्पी ने लंबे समय तक विवाद को पालने-पोसने में मदद की। फिर जो हुआ वह सबके सामने है।
मामले में 9 आरोपी जेल चले गए हैं। लेकिन नरसंहार क्यों हुआ? आरोपियों का इतना दुस्साहस किसकी शह पर हो पाया, जैसे कई सवाल हैं, जिसका जवाब आना अभी बाकी है।

गौरतलब है सोमवार को पाटन के टिमरी गांव में हुए 4 लोगों के हत्याकांड के बाद मंगलवार को पुलिस ने 9 आरोपियों को हिरासत में ले लिया। बुधवार को पाटन में स्थिति सामान्य होती दिखाई दी।
जुआ वर्सेज चुनावी रंजिश
क्षेत्रीय जन जहां इस पूरे मामले को जमीन पर कब्जा कर वहां जुआ फड़ चलाने से शुरू हुआ विवाद कह रहे हैं, तो पुलिस इस मामले को चुनावी रंजिश का मोड़ दे रही है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि कब्जे और जुए के एंगल पर जांच करने से पुलिस इस लिए बच रही है कि यदि इस एंगल पर जांच आगे बढ़ी तो सीधे तौर पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इसकी जद में आएंगे। आरोप है कि इससे बचने के लिए पूरे मामले का एंगल बदला जा रहा है।
सामान्य हो रहे हालात
पाटन के टिमरी गांव में अब सामान्य की तरफ लौट रहा है। यहां के जघन्य हत्याकांड, प्रदर्शन, 4 युवकों के अंतिम संस्कार और 9 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब लोग सामान्य जिंदगी में लौटने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस अब भी अलर्ट मोड पर है, लेकिन स्थिति दो दिन पूर्व की तुलना में सामान्य है।