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अमीरे जमात ने कहा, मुल्क में मुसलमानों के लिये हालात मुश्किल : ‘जबलपुर का हर मुसलमान 5 गैर मुस्लिमों के साथ करे यह काम..’

… उम्मत को इस बात को समझने की जरूरत है की आज मुल्क में जिस तरह के हालात बने हैं, उसका सामना उम्मत को करना ही पड़ेगा. आज के हालात हमारी दशकों की गलतियों और बातिल की दशकों की साजिश के नतीजे में सामने आएंगे. हमें इस मुश्किल दौर से, इस फेज से गुजरना ही पड़ेगा. ऐसा कोई शार्ट कट या जादूई नुस्खा नहीं है जिससे हालात अचानक या खुद बखुद बदल जाएंगे.

हमें सब्र के साथ, हिम्मत के साथ इन हालात का सामना करना है. लांगटर्म प्लानिंग के साथ आज के चैलेंजेस का जवाब देना है. पूरी उम्मत को एक साथ कोशिश करनी है. तब यह हालात बदलेंगे और उम्मत आज के चैलेंजेस की भट्टी में तप कर कल कुंदन बनकर सामने आएगी. मुल्क और दुनिया में एक कूव्वत और ताकत बनकर सामने आएगी.

यह बात जमात ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष (अमीर) सैय्यद सादतुल्लाह हुसैनी साहब ने सोमवार के दिन गोहलपुर के अंसारी बारात घर में आयोजित, समाज के जिम्मेदारान की एक खुसुसी बैठक को खिताब करते हुये कही.

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आप ने आगे कहा इस्लाम की तारीख इस बात की गवाह है कि जब जब इस उम्मत पर मुश्किल हालात आए हैं, यह उम्मत के अहया की वजह बने हैं. चैलेंजेस की भट्टी में तप कर हर बार उम्मते मुस्लिमा पहले से मजबूत होकर सामने आई है.

अमीरे जमात ने जबलपुर के मुसलमानों से कहा, जबलपुर का हर मुसलमान यह तय करे की वो 5 हिन्दू भाईयों तक इस्लाम की सही तस्वीर पेश करेगा. उनकी इस्लाम और मुसलमानों के मुताल्लिक गलतफहमी को अपने नेक अमल और किरदार से दूर करेगा. उनतक इस्लाम की दावत पहुंचाएगा और उनका दिल जीतने की कोशिश करेगा. किसी एक गरीब के बच्चे की फीस भरेगा. उम्मत को मिसाली उम्मत बनाने के लिये सीधे रास्ते पर चलेगा करेगा. उम्मत को मजबूत करने के लिये तालीम, रोजगार, सियासत के मैदान में अपनी जिम्मेदारी अदा करेगा. उन्होंने अगर इतना ही जबलपुर के मुसलमानों ने कर लिया तो 2-3 साल में जबलपुर के मुसलमानों के हालात बदल जाएंगे.

आपने आगे कहा, अल्लाह फरमाता है हर मुश्किल के बात आसानी है. अल्लाह फरमाता है किसी कौम के हालात तब तक नहीं बदलते जब तक कौम अपने हालात बदलने की कोशिश न करे. उन्होंने कहा आज के चैलेंजेस वाले हालात में अगर हमने अपना अहतिसाब किया. खैर उम्मत होने की जिम्मेदारी समझी और अदा की तो कल आसानी का दौर आएगा. जहां मुसलमान इस मुल्क में एक कुव्वत और ताकत बनकर उभरेंगे.

मुल्क के मौजूदा सूरते हाल और हमारी जिम्मेदारी के उनवान पर आयोजित इस बैठक में जमाअते इस्लामी मध्य प्रदेश के अध्यक्ष डॉ हामिद बेग, मआविन अमीर ए हलका मोहम्मद इम्तियाज और शाहिद अली, सेक्रेट्री हलका जावेद नदवी, नाजिम शहर गुलाम रसूल मंचासीन रहे. वहीं अंसार समाज सरदार हाजी सरदार हकीम बाबा, वरिष्ठ पार्षद वकील अंसारी, पार्षद शफीक हीरा, भाजपा नेता अकील अंसारी, इस्तियाक अंसारी, सहित समाज के अलग अलग शोबे से ताल्लकु रखने वाले प्रतिनिधि, वकील, डॉक्टर, सियासतदान मौजूद रहे.


मुश्किल  हालात का जवाब तीन तरह से दिया जाता है…

अमीरे जमात ने कहा जब किसी कौम पर मुश्किल हालात आते हैं, तब वो कौम तीन तरह से रिस्पांस (जवाब) करती है.

  1. पहला यह की वो कौम मायूसी, डर और खौफ का शिकार हो जाती है. उसूलों से समझौता कर लेती है. यह रिस्पांस इज्तिमाई खुदकुशी होता है. जिसके नतीजे में कौम हमेशा के लिये खत्म हो जाती है.
  2. दूसरा यह की मुश्किल हालात कौमों को सिद्दत पंसदी और इंतेहा पसंदी की तरफ ले जाते हैं. नफरत का जवाब नफरत से देना, गुस्से का जवाब गुस्से से देना जैसी सोच पैदा होती है. यह भी एक तरह की खुदकुशी होती है.
  3. वहीं मुश्किल हालात में तीसरा रिस्पांस रेसीलेंस का रासता होता है.. इसमें मुश्किल हालात को कौम अल्लाह के तरफ से तम्बीह और वार्निंग के तौर पर लेती है. खुद अहतिसाबी की तरफ लौटती है. अपनी गलती की तरफ लौटती है. उसे सुधारती है. लांग टर्म प्लानिंग के साथ मुश्किल हालात का सामना हिम्मत और अज्म के साथ करती है.

जो कौमे मुश्किल हालात में तीसरे रास्ते पर चलती हैं वो कौमे बाकी रहती हैं. इस रास्ते पर चलकर कौमों की सलाहियत कई गुना बढ़ती है. और कौम नई ताकत और कुव्वत के साथ चैलेंजेस से कामयाबी के साथ बाहर हाती है.

अमीरे जमात ने कहा, यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम उम्मत को तीसरे रास्ते पर ले जाएं.

अपने मकसद को पहचानिये

अमीरे जमात ने कहा, उम्मत के हालात की तब्दीली के लिये सोच और फिक्र में बुनियादी तब्दीली जरूरी है. बुनियादी तब्दीली में सबसे अहम रोल इस बात का है कि उम्मत अपने मिशन को पहचाने.

उन्होंने कहा मुसलमानों को अल्लाह ने खैर उम्मत बनाया है.

गरीबों मजलूमों दलित किसानों महिलाओं को जो आज मुल्क में जुल्म जब्र ज्यादती का शिकार हैं, न इंसाफी का शिकार हैं. उन्हें इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी अल्लाह ने इस उम्मत को दी है.

यह सबसे उंचा मकाम है

अल्लाह के रसूल सल्ल की दावत पर अहले अरब ने लब्बैक कहा, खैर उम्मत की जिम्मेदारी समझी और उसको अदा किया. तब कुछ ही सालों में सहाबा ए किराम पूरी दुनिया पर छा गये.

आज उम्मत में जब खैर उम्मत होने और खैर उम्मत होने की जिम्मेदारी अदा करने का मिजाज पैदा होगा, तब आज के हालात खुद बखुद बदल जाएंगे.

हम हर मैदान में तरक्की करेंगे.

टेमप्रेरी नहीं परमानेंट सालूशन

अमीरे जमात ने कहा धरना प्रदर्शन अहतिजाज सब टेमप्रेरी हल हैं. जिनकी अहमियत है, लेकिन यह हालात को बदलेंगे नहीं, एक मसला हल होगा दूसरा खड़ा होगा. एक मस्जिद के मामले में आप कोर्ट जाओ दूसरी मस्जिद पर दावा शुरु होगा. हमें लांग टर्म प्लानिंग के साथ काम करना होगा. उम्मत के मिजाज में बुनियादी तब्दीली लानी होगी. सब्र और हिम्मत के साथ हालात का सामना करना होगा. तब यह हालात एक सुनहरा मौका बन जाएंगे, इस हालात के नतीजे में कौम नई कुव्वत बनकर उभरेगी.

इन तीन कामों को करने से बदलेंगे हालात …

उन्होंने कहा आज हिन्दुस्तान में मुसलमानों को तीन काम करने की जरूरत है,

पहला करने का काम यह है कि हम आम आबादी से जुड़े. पब्लिक ओपनियन को बदलें. आम हिन्दुस्तानी समाज की फिक्र और सोच को बदलने की कोशिश करें.

इसके लिये सबको कोशिश करनी होगी…

जबलपुर के मुसलमान यह तय करें कि जबलपुर के हमारे दूसरे धर्म के भाई मुसलमान और इस्लाम के बारे में अपनी राय मीडिया के जरिये नहीं बनाएंगे.

जबलपुर का हर मुसलमान अगर यह तय करले की वो सिर्फ 5 दूसरे धर्म के भाई तक इस्लाम और मुसलमानों की सही तस्वीर पेश करेगा.

तो आने वाले कुछ ही सालों में जबलपुर की फिजा बदल जाएगी.

हमें मेहनत करनी होगी, कोशश करनी होगी.  

दूसरा काम यह है कि हम एक मिसाली उम्मत बनें. इत्तेहाद ए उम्मत की तरफ आएं. इस्लामी मआसरा बनाएं. घर को मुस्लिम समाज को इस्लाम के मुताबिक बनाएं. मुस्लिम समाज को मिसाली उम्मत बनाएं.

तीसरी काम यह है कि उम्मत को मजबूत करने की फिक्र करे. तालीम के मैदान में, रोजगार के मैदान, सियासत के मैदान में मुसलमान अपने अपने शहरों में प्लानिंग के साथ काम करें.

कौन करेगा यह काम..

उन्होंने कहा अब सवाल सबसे बड़ा यह है कि यह काम कौन करेगा.

नौजवानों बुजुर्गों पर इलजाम लगा रहे हैं, बुजर्ग नौजवानों को कोस रहे है. दीनी जमाते आवाम की गलती निकाल रहीं, आवाम दीनी जमातों को कोस रही. सब एक दूसरे की जिम्मेदारी तय कर रहे हैं, कोई जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं.. 

अमीरे जमात ने कहा, आज इमर्जेंसी के हालात है .. किसी एक के करने से कुछ नहीं होगा, पूरी उम्मत को इनवाल्व होना होगा. पूरी उम्मत को जुड़ना होगा. उम्मत के हर फर्द को अपने अपने सतह पर यह काम करना होगा.

उन्होंने कहा जबलपुर का हर मुसलमान यह तय करे की शहर के पांच पांच हिन्दू भाईयों तक इस्लाम और मुसलमानों की सही तस्वीर पेश करेगा.

हर वो आदमी जो अपने 3 बच्चों को पढ़ा सकता है वो यह माने की उसके 4 बच्चे हैं. वो समाज के पंचर वाले, रिक्शा वाले किसी गरीब के एक बच्चे की तालीम की जिम्मेदारी उठाए.

Saif Mansoori

सैफ मंसूरी जबलपुर के युवा पत्रकार हैं। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पत्रकारिता में शोधकर्ता हैं। वर्तमान में बाज़ मीडिया में डेस्क रिपोर्टर के रूप में कार्यरत हैं। राष्ट्रीय राजनीति में विशेष रुचि है।
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