JabalpurNationalNews

(जबलपुर) मंत्री विजय शाह पर दर्ज एफआईआर पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया, नए सिरे से एफआईआर करने के निर्देश

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी कर्नल सोफिया कुरैशी के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी करने के आरोपित मंत्री विजय शाह के विरुद्ध महू के मानपुर थाने में दर्ज एफआईआर की ड्राफ्टिंग पर असंतोष जताया है।

हाईकोर्ट ने इसी के साथ नए सिरे से एफआईआर में सुधार करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए है और आज शुक्रवार को फिर से सुनवाई तय कर दी है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब हाईकोर्ट इस मामलें की मॉनिटरिंग करेगा।

यहां उल्लेखनीय है कि बुधवार को हाई कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट और यूट्यूब चैनल में प्रसारित मंत्री के बयान पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्यमंत्री विजय शाह के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत अविलंब एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। साथ ही चेतावनी दी थी कि ऐसा न होने पर गुरुवार सुबह डीजीपी के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देश दिए थे कि आदेश का पालन सुनिश्चित करने इसकी प्रति अविलंब डीजीपी को भेजें। कोर्ट ने रजिस्ट्रार (आईटी) से यह अपेक्षा की है कि उपलब्ध लिंक के अलावा विजय शाह द्वारा दिए गए अपमानजनक भाषण के वीडियो से संबंधित सभी लिंक एकत्र करें।
गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्यशासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अवगत कराया कि हाई कोर्ट के आदेश का त्वरित पालन करते हुए बुधवार को ही रात 8 बजे महू के मानपुर थाने में तीनों निर्देशित धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करा दी गई है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) लगाई गई हैं, जिनमें आजीवन कारावास, पांच वर्ष व तीन वर्ष की सजाओं का प्रावधान है।

विज्ञापन

हाईकोर्ट ने इस बात पर खास जोर दिया कि दर्ज की गई एफआईआर में न तो घटना का तथ्यात्मक वर्णन किया गया है, न ही यह बताया गया है कि किस कृत्य के कारण किन धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर के पैरा 12 में केवल हाईकोर्ट के आदेश को हूबहू कॉपी-पेस्ट कर दिया गया है, जबकि कानूनी प्रक्रिया की दृष्टि से जरुरी था कि वहां पर उस कथन, वीडियो क्लिप या सार्वजनिक बयान का उल्लेख किया जाता, जिस आधार पर मामला दर्ज हुआ है।

विज्ञापन
Back to top button

You cannot copy content of this page