उत्तराखंड बना नफरत की लैब: अब नफरती तत्वें ने यूनिवर्सिटी में नमाज पढ़ रही छात्रा को घेरा

उत्तराखंड में हाल के वर्षों में धार्मिक कट्टरता के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ती खाई और नफरत ने समाज में नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। हिदुत्व संगठनों द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विरोध और नफरत में इजाफा हुआ है, जो यहां सामाजिक शांति को भंग करता है।
हाल ही में उत्तराखंड की क्वांटम यूनिवर्सिटी में एक मुस्लिम छात्रा द्वारा परिसर में नमाज़ अदायगी को लेकर विवाद हो गया। जब छात्रा ने शांतिपूर्ण तरीके से सीढ़ियों के पास कोने में नमाज़ पढ़ी, तो कुछ छात्रों ने इसे मुद्दा बनाकर विरोध करना शुरू कर दिया।
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें छात्रा को अकेले में नमाज़ पढ़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो वायरल होने के बाद कुछ छात्रों ने धार्मिक नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रकार के उग्र प्रदर्शन ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और कदम
कैंपस में ऐसी स्थिति पर कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। प्रशासन ने स्थिति को काबू में करने के लिए क्या कदम उठाए हैं? इस तरह की घटनाओं में प्रशासन की भूमिका अहम होती है, क्योंकि इनके माध्यम से छात्रों को सही संदेश और सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
क्या यह पहली बार हो रहा है?
उत्तराखंड और अन्य प्रदेशों में भी शिक्षण संस्थानों में धार्मिक गतिविधियों पर छात्रों के एक हिस्से का विरोध देखने को मिलता है। चाहे स्कूलों में हो या कॉलेजों में, ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आई हैं जहाँ कुछ छात्रों या समूहों द्वारा मुस्लिम छात्रों की धार्मिक पहचान पर सवाल उठाए गए हैं।
जानकारों का मानना है यदि इस दिशा में गंभीर है तो उसे प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक ठोस दिशा निर्देश जारी करने चाहिये, जिससे वे किसी भी विवादास्पद स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाल सकें।
देश में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए तालीमी संस्थानों में आपसी सद्भाव और समझ बढ़ाने की जरूरत है। धार्मिक असहिष्णुता का जवाब केवल आपसी बातचीत और सकारात्मक कदमों के माध्यम से ही दिया जा सकता है।