मध्य प्रदेश के 22 जिलों में जापानी बुखार का खतरा बढ़ा: इंसानों और जानवरों दोनों में वायरस की पुष्टि

भोपाल , 9 जून 2025। मध्य प्रदेश में अब तक अपेक्षाकृत कम घातक माने जाने वाले जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) ने अब गंभीर स्वरूप लेना शुरू कर दिया है। एक ताजा शोध ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को चेतावनी दी है कि यह संक्रमण अब एंडेमिक यानी स्थायी महामारी का रूप ले सकता है। चिंता की बात यह है कि यह खतरनाक वायरस अब न केवल मानव आबादी में, बल्कि पशुओं में भी तेजी से फैल रहा है।
शोध में चौंकाने वाले तथ्य
‘जनरल ऑफ वेक्टर बॉर्न डिजीज’ में प्रकाशित एक रिसर्च में सामने आया कि राज्य के 22 जिलों में यह वायरस लगातार सक्रिय है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज, सागर के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित कुमार रावत के नेतृत्व में किए गए इस शोध में साफ हुआ कि वायरस न केवल मौसमी रूप से बल्कि पूरे वर्ष वातावरण में मौजूद है।
जानवरों में भी वायरस की पुष्टि
शोधकर्ताओं ने 100 सुअरों और 99 घोड़ों के रक्त नमूनों की आरटी-पीसीआर तकनीक से जांच की।
- 7% सुअरों
- 8% घोड़ों
में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस की पुष्टि हुई। यह आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि यह वायरस पशु आबादी में मौजूद रहकर मानवों तक पहुंच सकता है।
मच्छरों के ज़रिए फैलता है संक्रमण
डॉ. रावत ने बताया कि यह रोग विशेष रूप से क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है। संक्रमित सुअर या घोड़े को काटने के बाद वही मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वायरस उस व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है। यह वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है, जिससे तेज बुखार, भ्रम, दौरे और कोमा तक की स्थिति पैदा हो सकती है।
761 संदिग्ध मरीजों की जांच
प्रदेशभर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के लक्षणों वाले 761 मरीजों के सैंपल लिए गए। इनमें से कई मामलों में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई है, जो इस बीमारी के खतरनाक विस्तार की ओर इशारा करता है।
कौन-कौन से जिले खतरे में
हालांकि शोध में सभी जिलों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए, लेकिन जिन जिलों में पशुपालन और जलजमाव की समस्या आम है—जैसे कि सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा, सतना, शहडोल और बालाघाट—वहां इस वायरस की सक्रियता अधिक पाई गई है।
जनता और प्रशासन के लिए चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तत्काल सतर्कता नहीं बरती गई तो आने वाले समय में जापानी बुखार एक बड़ी महामारी का रूप ले सकता है।
- मच्छर नियंत्रण अभियान
- पशु और मानव टीकाकरण
- जल निकासी और साफ-सफाई
जैसे उपायों को तत्काल प्रभाव से लागू करने की आवश्यकता है।
क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल बीमारी है जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, उलझन, दौरे और कोमा जैसी स्थिति शामिल है। यह आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में अधिक फैलता है जहां मच्छरों की आबादी ज्यादा होती है।
सार्वजनिक अपील
स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे जलजमाव न होने दें, मच्छरदानी का प्रयोग करें, पशुओं को खुला न छोड़ें और लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
“यह सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सार्वजनिक चेतना की परीक्षा है। अगर अब नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी।”
– डॉ. सुमित कुमार रावत, माइक्रोबायोलॉजिस्ट