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मानसून सत्र में पेश होगा ‘मेट्रोपॉलिटन बिल 2025’, भोपाल-इंदौर का होगा कायाकल्प | मध्यप्रदेश बनेगा मेट्रोपॉलिटन रीजन वाला देश का 13वां राज्य

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और औद्योगिक नगरी इंदौर अब जल्द ही मेट्रोपॉलिटन रीजन में तब्दील होने जा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार इस महीने के अंत में शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में ‘मध्यप्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास विधेयक 2025’ को पेश करने जा रही है। कैबिनेट से हरी झंडी मिल चुकी है, अब विधानसभा की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।

विकास की नई परिभाषा लिखेगा मेट्रोपॉलिटन बिल

यह विधेयक प्रदेश के शहरी विकास को एक नई दिशा देगा। इसके तहत भोपाल और इंदौर के साथ आसपास के जिलों को समाहित कर एक संगठित मेट्रोपॉलिटन रीजन तैयार किया जाएगा, जो केवल नगरीय विकास तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अधोसंरचना, उद्योग, परिवहन, पर्यावरण और शासन प्रबंधन जैसे पहलुओं को भी समेटेगा।

विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद म.प्र. देश का 13वां राज्य बन जाएगा, जहां मेट्रोपॉलिटन रीजन की तर्ज पर शहरी विकास होगा। इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे राज्यों में इस मॉडल को अपनाया जा चुका है।

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मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनेगा महानगर विकास प्राधिकरण

विधेयक पारित होने के साथ ही ‘महानगर विकास प्राधिकरण (Metropolitan Development Authority)’ का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे। यह प्राधिकरण नगरीय सीमा के बाहर के क्षेत्रों में योजना निर्माण और क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी उठाएगा। साथ ही, ‘मेट्रोपॉलिटन योजना समिति’ (Metropolitan Planning Committee) भी गठित होगी, जो विभिन्न एजेंसियों व निकायों में समन्वय स्थापित करेगी।


अध्ययन के बाद तैयार हुआ प्लान

मप्र सरकार ने इस विधेयक को लाने से पहले 12 राज्यों के 18 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया। इनमें मुंबई, पुणे, नागपुर, दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, गुवाहाटी, हैदराबाद, पटना, जम्मू, श्रीनगर और विशाखापट्टनम जैसे शहरों के मेट्रोपॉलिटन मॉडल शामिल हैं। इनसे मिली सीख के आधार पर भोपाल-इंदौर रीजन के लिए अनुकूल योजनाएं तैयार की गई हैं।


मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में कौन-कौन शामिल?

🔹 भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन

  • क्षेत्रफल: लगभग 9,600 वर्ग किलोमीटर
  • शामिल जिले/तहसीलें: भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, और राजगढ़ की कुल 13 तहसीलें
  • वर्तमान आबादी: 35 लाख
  • भविष्य की अनुमानित आबादी: 60 लाख

🔹 इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन

  • क्षेत्रफल: लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर
  • शामिल जिले: इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, शाजापुर
  • वर्तमान आबादी: 55.6 लाख
  • भविष्य की अनुमानित आबादी: 80 लाख
  • उद्योग केंद्र: पीथमपुर, जो दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) से जुड़ा है

क्या होगा फायदा?

  • संगठित और दीर्घकालिक विकास योजनाएं
  • नवीन अधोसंरचना निर्माण की रफ्तार में तेजी
  • बढ़ती आबादी के अनुसार स्मार्ट शहरी विस्तार
  • राज्य की जीडीपी और निवेश में वृद्धि
  • रोजगार और आवास के अवसर बढ़ेंगे

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस पहल को प्रदेश के भविष्य के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, “हम भोपाल और इंदौर को भारत के आधुनिक शहरी केंद्रों की सूची में लाना चाहते हैं, और मेट्रोपॉलिटन कानून उसी दिशा में एक निर्णायक कदम है।”


मध्यप्रदेश में मेट्रोपॉलिटन विधेयक का आना केवल एक नया कानून नहीं, बल्कि प्रदेश की शहरी संरचना को नये आयाम देने वाला ऐतिहासिक बदलाव है। इससे न सिर्फ भोपाल और इंदौर बल्कि इनके आसपास के क्षेत्रों में भी योजनाबद्ध और समावेशी विकास को गति मिलेगी।

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