
जबलपुर। हाजी अब्दुल रज्जाक सालों से जेल की सलाखों के पीछे है। उनकी गैरमौजूदगी में उनका पूरा परिवार पुलिस के मजबूत घेरे में आ गया है। एक-एक करके उनके बेटों, भाइयों और भतीजों की गिरफ्तारी हो रही है।
9 जुलाई की रात, पुलिस ने सिवनी के एक रिज़ॉर्ट में दबिश देकर हाजी अब्दुल रज्जाक के बेटे मोहम्मद सरफराज, भाई मोहम्मद मेहमूद और दो भतीजों सज्जाद और अजहर को गिरफ्तार किया।
अब पुलिस को पूरा फोकस हाजी अब्दुल रज्जाक के दो और भाईयों – मोहम्मद अब्बास और मोहम्मद रियाज पर है।
गुरुवार को जबलपुर पुलिस अधीक्षक श्री संपत उपाध्याय के प्रतिवेदन पर जबलपुर रेंज के डीआईजी श्री अतुल सिंह ने दोनों पर 15-15 हजार रुपये का अतिरिक्त इनाम घोषित कर दिया। ये इन दोनों पर पहले से घोषित 50-50 हजार रुपये के इनाम के ऊपर जोड़ा गया है। अब मोहम्मद अब्बास और मोहम्मद रियाज पर 65-65 हजार का इनाम हो गया है.

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कानूनी कार्यवाही या कुछ और..
पुलिस का पक्ष है की हाजी अब्दुल रज्जाक और उनके परिवार के बहुत से सदस्य अपराधिक गतिविधियों में लिप्त है. अब तक जिनकी भी गिरफ्तारी हुई या जिन्हें तलाश किया जा रहा है उन सभी पर कई थानों में कई कई मामले दर्ज हैं. सभी काफी पहले से फरार हैं. पुलिस का कहना है की पुलिस की पूरी कार्यवाही रज्जाक पहलवान के अपराधिक नेटवर्क को खत्म करने के लिये की जा रही है। जिन आरोपियों की गिरफ्तारी बाकी है, उनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है और बहुत जल्द उन्हें भी सलाखों के पीछे डाला जाएगा।

वहीं समाज के कुछ तबकों में यह सवाल गूंज रहा है कि कहीं यह ‘कानून की सख्ती’ किसी पुराने सियासी या निजी हिसाब-किताब का हिस्सा तो नहीं?
कुछ स्थानीय लोगों का कहना है की हाजी रज्जाक पहलावन का इतिहास अपराध की दुनिया से जुड़ा रहा है — इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन क्या उनके खानदान के हर सदस्य हर रिश्तेदार को उसी चश्मे से देखना सही है? चूंकी मोहम्मद अब्बास को लोगों ने हमेशा शिक्षा से जुड़े कामों में देखा है, वहीं मोहम्मद रियाज की सामाजिक पहचान भी कारोबारी की ही रही है. बीते तीन सालों में रज्जाक पहलवान के भाईयों और भाईयों के बच्चों पर जिस तेजी से मामले बढ़े और जिस तरह से उन्हें एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश और पेशेवेर अपराधी के तौर पर पेश किया जा रहा है. उससे एक वर्ग के मन में कई सवाल भी उठ रहे हैं.
इसलिये मोहम्मद अब्बास और रियाज को लेकर कई स्थानीय लोगों का मानना है कि उन्हें उनका पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिये बिना अपराधी मान लेना जल्दबाज़ी है। और यही जल्दबाजी पूरी कार्यवाही पर सवाल की वजह बनती दिख रही है।
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“जब तक पूरा परिवार जेल न जाए… !”
करीब 2 साल थमी दिखी कार्यवाही जुलाई 2025 के दूसरे हफ्ते में फिर तेज हुई. बीते करीब 20 दिन के घटनाक्रम और पुलिस कार्यवाही की गति को देखते हुये इस बार यही महसूस होता है कि पुलिस ने रज्जाक पहलवान खानदान के हर बालिग पुरुष सदस्य को अपराधी मान लिया है। अजहर की हालिया गिरफ्तारी ने इस धारणा को और बल प्रदान किया है कि मामला अब किसी एक दो आरोपी से बढ़कर पूरे खानदान की घेराबंदी में तब्दील हो रहा है।
हालांकि पुलिस ने ऐसे किसी भी आरोप को सिरे से खारिज करते हुए साफ किया है:
“कानून सबके लिए समान है। जो भी अपराध में लिप्त होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी परिवार से क्यों न जुड़ा हो।”
बहरहाल, सच जो भी हो — इस पूरे घटनाक्रम ने यह तय कर दिया है कि अब यह सिर्फ एक दो आरोपी की कहानी नहीं रही, बल्कि एक पूरे खानदान की पहचान, छवि और भविष्य का सवाल बन चुकी है।