
जबलपुर, 7 अगस्त 2025 (BAZ न्यूज़)। मौत के बाद भी जीवन देने वाली मिसाल बनकर सामने आए 31 वर्षीय सत्येंद्र यादव ने अंगदान कर तीन मरीजों को नया जीवन दे दिया। जबलपुर में पहली बार बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से उनका दिल, लीवर और किडनी अलग-अलग शहरों में भर्ती जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाए गए। यह कदम न केवल मेडिकल इतिहास में एक नई शुरुआत है, बल्कि मानवता की सबसे बड़ी सेवा का उदाहरण भी है।
ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों ने लिया साहसिक फैसला
सत्येंद्र यादव का 4 अगस्त को एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। हालत गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया। इसके बाद उनके परिजनों—पिता रोहणी प्रसाद यादव, पत्नी मीनाक्षी यादव और भाई विजय यादव—ने अंगदान का फैसला लिया, जिससे किसी और की जान बचाई जा सके।

तीन मरीजों को मिला जीवनदान
मेदांता अस्पताल की विशेष टीम जबलपुर पहुंची और उनकी निगरानी में सत्येंद्र यादव के अंगों को सुरक्षित निकाला गया।
- दिल अहमदाबाद स्थित CIMS हॉस्पिटल भेजा गया।
- लीवर भोपाल के सिद्धांता सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भेजा गया, जहां ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अरविंद सिंह सोइन द्वारा सर्जरी की गई।
- किडनी जबलपुर में ही जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने की प्रक्रिया जारी है।

पहली बार जबलपुर में बना ग्रीन कॉरिडोर
आज सुबह 11:30 बजे के आसपास, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और एयरपोर्ट अथॉरिटी के समन्वय से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। ट्रैफिक को नियंत्रित करते हुए अंगों को मेडिकल कॉलेज से डुमना एयरपोर्ट तक 6 घंटे की समय सीमा के भीतर पहुंचाया गया। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि यह प्रक्रिया बिल्कुल सटीक और सुरक्षित रूप से पूरी की गई।
प्रशासन रहा पूरी तरह सक्रिय
कलेक्टर दीपक सक्सेना और एसपी सम्पत उपाध्याय की निगरानी में यह कार्य संपन्न हुआ। ट्रैफिक पुलिस, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और एयरपोर्ट प्रशासन के बीच बेहतरीन समन्वय से यह पहला ग्रीन कॉरिडोर सफलता की मिसाल बना।
मानवता की मिसाल बना सत्येंद्र का परिवार
तीन महीने पहले ही विवाह बंधन में बंधे सत्येंद्र यादव की अचानक हुई मृत्यु ने पूरे परिवार को झकझोर दिया, लेकिन उन्होंने ग़म में भी एक मानवता भरा निर्णय लेते हुए यह सुनिश्चित किया कि उनके बेटे के अंग किसी और की जिंदगी बचाएं। परिवार ने कहा कि अगर सत्येंद्र का जाना किसी और की जान बचा सकता है तो यह उनका सबसे बड़ा योगदान होगा।