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अमेरिकी टैरिफ, बाढ़ और असम बेदखली पर जमात इस्लामी हिंद ने जताई गंभीर चिंता

नई दिल्ली। जमाअत इस्लामी के मुख्यालय में आज हुई मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमीर जमात इस्लामी हिन्द सैयद सादतुल्लाह हुसैनी और नायब अमीर प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, बाढ़ से हुई तबाही और नागरिक अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई।


अमेरिकी टैरिफ से उद्योगों पर असर

सैयद सादतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ ने भारतीय निर्यात को बुरी तरह प्रभावित किया है। खासतौर पर सूरत के हीरा उद्योग, उत्तर प्रदेश के कालीन केंद्र और तिरुपुर के वस्त्र उद्योग संकट में हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल ही 35,000 से ज्यादा एमएसएमई इकाइयां बंद हो गईं, हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए और 2,500 करोड़ रुपये से अधिक का माल गोदामों में फंसा पड़ा है

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हुसैनी ने सरकार से मांग की कि वह अमेरिका को मजबूत कूटनीतिक जवाब दे, साथ ही 25,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज, सब्सिडी और सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराए ताकि उद्योग और रोजगार बच सकें।


बाढ़ और भ्रष्टाचार से बढ़ी तबाही

उन्होंने देश के कई राज्यों में आई बाढ़ को लेकर भी चिंता जताई। पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में हजारों परिवार बेघर हो गए, किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं और सड़कें- पुल तक टूट गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण ने इस आपदा को और भयावह बना दिया। कई बांध और फ्लड कंट्रोल सिस्टम थोड़ी बारिश में ही फेल हो गए।
हुसैनी ने किसानों को प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजा, राष्ट्रीय स्तर पर फ्लड कंट्रोल सिस्टम को मजबूत करने और आपदा राहत कानून बनाने की मांग की, ताकि राहत राशि समय पर पीड़ितों तक पहुंच सके।


असम में जबरन बेदखली का मुद्दा

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नायब अमीर प्रो. सलीम इंजीनियर ने असम में चल रही बेदखली की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में सिर्फ ग्वालपाड़ा जिले में ही 1,700 से ज्यादा परिवारों को जबरन बेदखल कर दिया गया। इनमें से कई परिवारों के पास जमीन के कागजात, वोटर आईडी और एनआरसी रिकॉर्ड मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि घर, स्कूल और मस्जिदें तक ढहा दी गईं और पुलिस फायरिंग में शकूर अली नामक युवक की मौत हो गई। उन्होंने इस कार्रवाई को संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और मांग की कि बेदखली तुरंत रोकी जाए, फायरिंग की स्वतंत्र जांच हो और सभी परिवारों का पुनर्वास किया जाए।


दिल्ली दंगा केस में लंबी कैद पर चिंता

प्रो. इंजीनियर ने 2020 दिल्ली दंगा केस में उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे छात्र नेताओं की पांच साल से चल रही कैद को लेकर भी सवाल उठाए। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
उन्होंने कहा कि यह फैसला लोकतांत्रिक असहमति को दबाने की कोशिश है। असली दंगाई खुले घूम रहे हैं जबकि छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता जेल में हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल देगा और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करेगा।


सरकार से जवाबदेही की मांग

जमात इस्लामी हिंद के नेताओं ने कहा कि आर्थिक संकट, बाढ़ और नागरिक अधिकारों के मामलों पर सरकार की नाकामी साफ दिख रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मजदूर और किसान देश की रीढ़ हैं, उनके अधिकारों की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और न्यायपालिका की निष्पक्षता बनी रहे।

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