ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद ‘आज फ्रांस ने भी फ़िलिस्तीन को मान्यता दी’, मैक्रों ने कहा – “अब और इंतज़ार नहीं”

पेरिस/न्यूयॉर्क। ग़ाज़ा पर जारी हमलों और फ़िलिस्तीन में लगातार बढ़ती तबाही के बीच, दुनिया भर में उठ रही इंसाफ़ की आवाज़ें असर दिखा रही हैं। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब फ्रांस ने भी आधिकारिक तौर पर फ़िलिस्तीन को एक अलग और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐतिहासिक फ़ैसला लिया है।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में संबोधित करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि उनकी सरकार ने फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “ग़ाज़ा में युद्ध रोकने और हमास द्वारा बंधक बनाए गए शेष 48 लोगों को रिहा करने का समय आ गया है। हम अब और इंतज़ार नहीं कर सकते। शांति को रोका नहीं जा सकता।”
राष्ट्रपति मैक्रों ने 7 अक्टूबर को हुए हमलों की निंदा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में स्थायी शांति केवल “दो-राष्ट्र समाधान” से ही संभव है। उन्होंने कहा, “चल रहे युद्ध का कोई औचित्य नहीं है। हर चीज़ हमें इसे एक अंतिम नतीजे तक पहुँचाने के लिए मजबूर कर रही है।”
वैश्विक रुझान
फ्रांस के इस क़दम के साथ ही दुनिया के 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में से लगभग 75% देश अब तक फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं।
हालाँकि अमेरिका, इज़राइल, इटली और जर्मनी जैसे अहम देश अब तक इस दिशा में आगे नहीं बढ़े हैं।
बदलता माहौल
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन द्वारा हालिया घोषणाओं के बाद, फ्रांस का यह फ़ैसला पश्चिमी दुनिया के बदलते रुख़ को और मज़बूती से सामने लाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग़ाज़ा में लगातार जारी तबाही, मानवीय संकट और दुनिया भर में उठ रहे विरोध प्रदर्शनों ने सरकारों पर दबाव बढ़ाया है।
फ़िलिस्तीन को लेकर दुनिया भर में माहौल तेज़ी से बदल रहा है। फ्रांस का यह फ़ैसला न सिर्फ़ मध्य-पूर्व की राजनीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों के लिए भी अहम कदम है।
अब नज़रें उन देशों पर हैं जिन्होंने अब तक मान्यता नहीं दी है—ख़ासकर अमेरिका और जर्मनी पर—जो लंबे समय से दो-राष्ट्र समाधान की बात तो करते हैं, मगर औपचारिक मान्यता से पीछे हटते रहे हैं।