आई लव मोहम्मद (सल्ल) ❗ बरेली में मौलाना ‘तौकीर रज़ा’ की गिरफ़्तारी के बाद कर्फ़्यू जैसे हालात: स्कूल बंद, इंटरनेट ठप, पुलिस हाई अलर्ट पर

बरेली। मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी के बाद बरेली शहर में हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। शुक्रवार की नमाज़ के बाद कई इलाक़ों में हिंसक झड़पें हुईं, जिसके बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी, सार्वजनिक जमावड़ों पर रोक लगा दी और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। यह पूरा घटनाक्रम न केवल स्थानीय जनजीवन को प्रभावित कर रहा है बल्कि प्रदेश की राजनीति और सामजिक माहौल पर भी बड़ा असर डाल रहा है।
कानून-व्यवस्था: हिंसक झड़प और पुलिस कार्रवाई
जुमे की नमाज़ के बाद कोतवाली मस्जिद, इस्लामिया ग्राउंड, आलमगीरिगंज, सिविल लाइन्स, बड़ा बाज़ार और बंसमंडी इलाक़ों में तनाव बढ़ गया। पत्थरबाज़ी और तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। इस दौरान 22 पुलिसकर्मी घायल हुए और प्रशासन ने घटनास्थल से पिस्तौल, कारतूस, पत्थर और टूटी कांच की बोतलें बरामद करने का दावा किया।
- पूरे बरेली में 48 घंटे का इंटरनेट शटडाउन लागू है।
- धारा 163 BNSS (पूर्व की धारा 144) के तहत सार्वजनिक जमावड़ों पर रोक।
- संवेदनशील क्षेत्रों में फ्लैग मार्च और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती।
गिरफ़्तारी और जांच
मौलाना तौकीर रज़ा को उनके सात साथियों सहित 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस का आरोप है कि यह हिंसा “पूर्व नियोजित साज़िश” थी।
- अब तक 10–11 एफआईआर दर्ज,
- 2,000 से अधिक नामज़द, जिनमें 100 से अधिक पहचान किए गए लोग शामिल।
- अब तक 36–39 लोग गिरफ़्तार या पूछताछ के लिए हिरासत में।
- मौलाना और समर्थकों की डिजिटल गतिविधियों की भी जांच।
ज़िले के डीएम और डीआईजी ने हाई-लेवल रिव्यू मीटिंग की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हालात की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
शहर में असर: बाज़ार और स्कूल बंद, जनजीवन थमा
- कई बाज़ार और दुकानें बंद रहीं।
- लोग घरों में सिमटे, मुख्य सड़कों पर दिनभर भारी पुलिस गश्त।
- इंटरनेट बंद होने से ऑनलाइन कारोबार, बैंकिंग और संचार प्रभावित।
- स्कूलों में छुट्टी, परीक्षाएँ टलीं।
शहरवासियों में असुरक्षा का माहौल है और लोग अफ़वाहों से बचने के लिए सार्वजनिक चर्चा से दूरी बनाए हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- राज्य सरकार: यूपी सरकार ने मौलाना रज़ा पर “साजिश का मास्टरमाइंड” होने का आरोप लगाया।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी कानून तोड़ेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। यह भविष्य के लिए सबक है।”
- विपक्ष:
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस कार्रवाई को “अत्यधिक और पक्षपातपूर्ण” बताया।
- उन्होंने कहा कि यह कदम विरोध की आवाज़ दबाने की कोशिश है।
- भाजपा का निर्देश: पार्टी ने अपने नेताओं से अपील की है कि कोई भी ऐसा बयान न दें जिससे हालात और बिगड़ें।
पृष्ठभूमि: आई लव मुहम्मद (Saw)’ अभियान
यह हिंसा हाल के हफ्तों से चल रही धार्मिक तनातनी का हिस्सा मानी जा रही है। ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के पोस्टर को लेकर कानपुर से शुरू हुआ विवाद कई जिलों तक फैल चुका है। ईद-ए-मिलाद-उल-नबी पर लगे पोस्टरों पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद मुस्लिम नेताओं और समुदाय के सदस्यों पर कई एफआईआर दर्ज की गईं।
व्यापक असर और आगे की राह
- यह घटना सिर्फ बरेली तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव और कानून-व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा कर रही है।
- सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक आपसी संवाद और शांति समिति बनाने की बात कर रहे हैं।
बाज़ मीडिया की राय
यह स्पष्ट है कि बरेली की हिंसा केवल एक गिरफ्तारी का परिणाम नहीं, बल्कि लंबे समय से पनप रहे साम्प्रदायिक तनाव और राजनीतिक बयानबाज़ी की उपज है। कानून-व्यवस्था बनाए रखना आवश्यक है, पर शहर की अर्थव्यवस्था, शिक्षा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी को पटरी पर लाने के लिए प्रशासन, धार्मिक नेताओं और नागरिक समाज को मिलकर आगे आना होगा।
बाज़ मीडिया का संदेश:
शांति, संवाद और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा—यही इस कठिन समय में असली समाधान है।