कांग्रेस का आरोप: बिहार में 23 लाख दलित और मुस्लिम महिला मतदाताओं को निशाना बनाया गया

बिहार, (ईएमएस) – कांग्रेस पार्टी ने रविवार को आरोप लगाया कि बिहार की मतदाता सूची से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान लगभग 23 लाख महिलाओं के नाम हटा दिए गए, जिनमें बड़ी संख्या दलित और मुस्लिम समुदाय की महिलाएं हैं। पार्टी का कहना है कि यह सुनियोजित साजिश 2020 के विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर वाले क्षेत्रों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए की गई।
दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा, “चुनाव आयोग की इस कार्रवाई का उद्देश्य दलित और मुस्लिम महिला मतदाताओं को बहिष्कृत करना है। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।”
लांबा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया के माध्यम से इन महिलाओं के मताधिकार को सीमित करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “बिहार में लगभग 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं, लेकिन 22.7 लाख महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इनमें से अधिकांश दलित और मुस्लिम समुदाय की महिलाएं हैं। इसका प्रभाव आगामी विधानसभा चुनावों में साफ दिखेगा।”
उन्होंने बताया कि सबसे अधिक प्रभावित जिले गोपालगंज, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, भोजपुर और पूर्णिया हैं। इन जिलों में कुल मिलाकर लगभग 60 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जो 2020 के चुनाव में कांटे की टक्कर वाले थे।
अलका लांबा ने कहा कि कांग्रेस इस “वोट चोरी” के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान शुरू कर रही है, जिसका लक्ष्य पांच करोड़ हस्ताक्षर एकत्र करना है। उन्होंने चेतावनी दी, “हम दलित और मुस्लिम महिला मतदाताओं के अधिकारों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह स्पष्ट तौर पर असंवैधानिक है और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”
पार्टी ने कहा कि वह चुनाव आयोग की इस कार्रवाई का पर्दाफाश करेगी और बिहार में महिलाओं के वोटों की रक्षा करेगी।