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शहर में गोलियां, गलियों में चाकू । जबलपुर में हथियारबंद बदमाश बेखौफ – कानून व्यवस्था को खुली चुनौती

जबलपुर, (08 अक्टूबर 2025)। शहर की सड़कों पर अब न तो पुलिस की गश्त दिखती है, न कानून का डर। गोलियां ऐसे चल रही हैं जैसे दिवाली में पटाखे फूट रहे हों। चाकूबाज़ी, फायरिंग और खुलेआम हथियारों की नुमाइश — यह सब मिलकर बता रहे हैं कि जबलपुर की कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है।


🔹 पुलिस की मौजूदगी में तमंचे की नुमाइश

हाल ही में कांचघर दशहरा जुलूस और अभिनंदन रेस्टोरेंट फायरिंग जैसी घटनाओं ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि अपराधी अब पुलिस से नहीं डरते।
सैंकड़ों पुलिस बल की मौजूदगी में भी कांचघर दशहरा जुलूस में बदमाश खुलेआम तमंचा लेकर घूमते रहे, और गोली चलाने के बाद आराम से निकल गए।
कुछ दिन पहले पुराने बस स्टैंड पर एक युवक जिस आत्मविश्वास से बंदूक लेकर अंदर घुसा और फिर टहलते हुए निकल गया, उसने यह साफ़ कर दिया कि अब शहर में पुलिस नहीं, अपराधियों का दबदबा है।

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अभिनंदन होटल के संचालक पर हुई फायरिंग

🔹 लगातार बढ़ती फायरिंग और चाकूबाज़ी की घटनाएं

पिछले कुछ महीनों में गोलीबारी और चाकूबाज़ी की घटनाओं में तेज़ी आई है।
मामूली झगड़ों से लेकर इलाके में वर्चस्व की लड़ाई तक, हर दूसरे दिन पुलिस रिकॉर्ड में गोली चलने की रिपोर्ट दर्ज हो रही है।
हालांकि कई बार बड़ी वारदातें टल गईं, लेकिन सवाल यह है कि —

“शहर में इतने हथियार आ कहां से रहे हैं?”


कांचघर दशहरा जुलूस

🔹 चाकू लेकर चलना बना फैशन

अब बात सिर्फ बंदूक तक सीमित नहीं।
शहर के युवा जेब में चाकू रखकर घूमना ‘ट्रेंड’ बना चुके हैं।
छोटे-छोटे विवादों में चाकू निकालकर वार कर देना आम हो गया है।
सिटी कोतवाली, घमापुर, अधारताल, हनुमानताल जैसे इलाकों से रोज़ाना चाकूबाज़ी की खबरें आ रही हैं।

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🔹 पुलिस पर उठ रहे गंभीर सवाल

शहरवासियों का कहना है कि पुलिस की गश्त अब सिर्फ कागज़ों में रह गई है।
न मोहल्लों में, न बाज़ारों में पुलिस की उपस्थिति महसूस होती है।
शराबखोरी, जुआ, गांजा बिक्री जैसी गतिविधियाँ सार्वजनिक जगहों पर खुलेआम हो रही हैं, जबकि आम लोग भय और असुरक्षा में जी रहे हैं।
पुलिस का सूचनातंत्र भी लगभग ठप पड़ चुका है — अब न मुखबिरों की जानकारी आती है, न अपराधियों पर नज़र रखी जाती है।


🔹 हथियारों की सप्लाई पर भी सवाल

अब बड़ा सवाल यह है कि इतने अवैध हथियार जबलपुर में आ कैसे रहे हैं?
क्या शहर में ग़ैरक़ानूनी हथियारों का नेटवर्क सक्रिय है?
क्या पुलिस इन पर नज़र रखने में नाकाम रही है?
शहर के पुराने इलाकों और आसपास के जिलों से देसी कट्टों और गोलियों की सप्लाई होने की चर्चाएँ अब खुलकर होने लगी हैं।


🔹 प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी सवालों के घेरे में

लोग अब सिर्फ पुलिस से नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से भी जवाब मांग रहे हैं।

“जब सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार और पुलिस दोनों की है,
तो फिर अपराधी सड़कों पर हथियार लेकर क्यों घूम रहे हैं?”
जनता का कहना है कि शहर के नेताओं को सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की ज़रूरत है।


🔹 अब ज़रूरत है सख्ती की

जबलपुर के नागरिक अब यही मांग कर रहे हैं कि पुलिस सख्त कार्रवाई करे —

  • अवैध हथियारों की सप्लाई पर रोक लगाए,
  • गैंग और बाहरी असामाजिक तत्वों पर नकेल कसे,
  • और शहर में गश्त और निगरानी को फिर से मज़बूत करे।

अगर हालात ऐसे ही रहे, तो यह सिर्फ़ अपराध की बात नहीं रह जाएगी, बल्कि शहर की शांति और नागरिकों की सुरक्षा दोनों पर गंभीर खतरा बन जाएगी।

Jabalpur Baz

बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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