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Bihar Election 2025 : “सीमांचल चाँद पर नहीं है, बिहार का हिस्सा है” — असदुद्दीन ओवैसी का एनडीए और इंडिया ब्लॉक पर तीखा हमला

Bihar Election 2025 बिहार विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को सीमांचल के बहुसंख्यक मुस्लिम इलाकों में चुनावी रैलियों के दौरान एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों पर करारा हमला बोला।
ओवैसी ने कहा कि सीमांचल की दशकों से चली आ रही उपेक्षा सिर्फ़ सरकारों की नाकामी नहीं, बल्कि राजनीतिक बेईमानी की मिसाल है।


🔥 “दिल अहमदाबाद में, राजगीर में, और बेटों में… सीमांचल में किसी का नहीं”

किशनगंज के बहादुरगंज और ठाकुरगंज में भीड़ से खचाखच भरी जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा:

“आपने नरेंद्र मोदी को तीन बार प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन उनका दिल अहमदाबाद में है।
आपने नीतीश कुमार को 20 साल तक मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन उनका दिल राजगीर में है।
आपने लालू और राबड़ी देवी को 15 साल तक मुख्यमंत्री बनाया, और तेजस्वी को दो बार उपमुख्यमंत्री,
मगर उनका दिल सिर्फ़ एक बेटे में अटका है — सीमांचल के गरीब मुसलमान कहाँ जाएँ?

ओवैसी ने कहा कि सीमांचल बिहार का सबसे उपेक्षित इलाका है और हर चुनाव में सिर्फ़ वोट बैंक बनकर रह जाता है।

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“इन लोगों ने सीमांचल के विकास के लिए आखिर किया क्या है? सड़के टूटी हैं, अस्पताल खाली हैं, और नौजवान दिल्ली-मुंबई में मजदूरी करने को मजबूर हैं।”


🗳️ “हम हैदराबाद से 1500 किलोमीटर सिर्फ़ वोट नहीं, इज़्ज़त के लिए आते हैं”

ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी पिछले 11 वर्षों से सीमांचल की आवाज़ उठाती रही है, चाहे नतीजे मिले हों या नहीं।

“हमने जब पाँच सीटें जीतीं, तब भी घमंड नहीं किया। जब हारे, तब भी लोगों का साथ नहीं छोड़ा।
हमारी सियासत किसी परिवार या कुर्सी की नहीं — आपके हक़ और इज़्ज़त की लड़ाई है।”


🤝 नया गठबंधन, पुराना मिशन

इस बार एआईएमआईएम ने चंद्रशेखर आज़ाद की ‘आज़ाद समाज पार्टी’ (ASP) और स्वामी प्रसाद मौर्य की ‘अपना जनता पार्टी’ (AJP) के साथ मिलकर 59 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
इनमें से 30 सीटों पर एआईएमआईएम अपने उम्मीदवार उतार रही है।
ओवैसी ने कहा कि यह गठबंधन “पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों की असली आवाज़ बनेगा।”


🏚️ “सीमांचल — एक पिछड़े राज्य का सबसे पिछड़ा इलाका”

सीमांचल में चार ज़िले आते हैं — किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार।
यह इलाका लंबे समय से गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है।
यहाँ के लोग आज भी मौसमी पलायन पर निर्भर हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार —

  • बिहार की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 17% है।
  • इनमें से लगभग 28% सीमांचल में रहते हैं।
    लेकिन विकास योजनाओं में इस इलाके को हमेशा दूसरे दर्जे का नागरिक माना गया।

🗣️ सीमांचल के लोगों की आवाज़

स्थानीय नागरिकों ने कहा कि नेताओं ने बार-बार वोट तो मांगे, लेकिन सड़क, अस्पताल और शिक्षा देने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

“हर पार्टी यहाँ आती है सिर्फ़ वादा करने। मगर चुनाव के बाद सब गायब,”
एक निवासी ने ग़ुस्से में कहा।


📌 बाज मीडिया की टिप्पणी:

ओवैसी का यह भाषण सीमांचल की सच्चाई और राजनीतिक हकीकत को बेनकाब करता है।
जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष विकास के दावे कर रहा है, वहीं सीमांचल के लोग अब भी बरसाती नालों और जर्जर स्कूलों के बीच जीवन गुज़ार रहे हैं।

चुनाव करीब हैं —
और सीमांचल का यह सवाल हर पार्टी से है:
“क्या हमें सिर्फ़ वोट बैंक समझा जाएगा या बिहार का नागरिक माना जाएगा?”

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