(भोपाल) अब क्यूआर कोड स्कैन करते ही E रिक्शा ऑटो चालक की पूरी जानकारी मिलेगी

जबलपुर सहित पूरे प्रदेश में मॉडल के रूप में लागू होने की उम्मीद
भोपाल/जबलपुर। राजधानी भोपाल में ट्रैफिक व्यवस्था को आधुनिक, सुरक्षित और नागरिक–केंद्रित बनाने के लिए नगर यातायात पुलिस ने एक बड़ा डिजिटल कदम उठाया है। अब शहर में चलने वाले बड़ी संख्या में रिक्शा और ऑटो चालकों का पूरा डेटा क्यूआर कोड के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। किसी भी नागरिक को सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन करना होगा, और उस वाहन तथा चालक की पूरी जानकारी मोबाइल पर तुरंत दिख जाएगी।
यह सिस्टम आने वाले समय में जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और अन्य बड़े शहरों में भी लागू किया जा सकता है, इसलिए महाकौशल क्षेत्र में भी इसे लेकर उत्सुकता बढ़ी है।
कैसे काम करेगा नया क्यूआर कोड सिस्टम?
- यातायात पुलिस ने रिक्शा/ऑटो चालकों का डिजिटल डेटा तैयार किया है।
- हर वाहन पर एक यूनिक क्यूआर कोड लगाया जा रहा है।
- नागरिक क्यूआर कोड स्कैन कर सकेंगे:
- चालक का नाम
- मोबाइल नंबर
- वाहन नंबर
- रजिस्ट्रेशन डिटेल
- लाइसेंस स्थिति
- पुलिस वेरिफिकेशन स्टेटस
- इससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि, झगड़े या ओवरचार्जिंग के मामलों में नागरिक तुरंत सत्यापन कर सकेंगे।
- महिलाएँ, छात्राएँ और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सिस्टम सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब नागरिक दे सकेंगे अपने क्षेत्र की ट्रैफिक समस्याएँ और सुझाव
ट्रैफिक पुलिस ने यह क्यूआर कोड सिर्फ ऑटो-रिक्शा तक सीमित नहीं रखा है।
नागरिक इस क्यूआर कोड के माध्यम से सीधे पुलिस को भेज सकेंगे:
- चौराहों, तिराहों पर ट्रैफिक की समस्या
- टूटी सड़कें
- गलत पार्किंग की दिक्कतें
- भारी वाहन की आवाजाही
- जाम के स्थायी कारण
- सिग्नल टाइमिंग से जुड़ी समस्याएँ
- सड़क हादसे के ब्लैक स्पॉट की जानकारी
- ट्रैफिक सुधार के सुझाव
जो भी शिकायत या सुझाव भेजे जाएंगे, उन्हें पुलिस उपायुक्त (यातायात), भोपाल के कार्यालय में तुरंत भेजा जाएगा और आवश्यकतानुसार कार्रवाई होगी।
भोपाल क्यों बना मॉडल?
भोपाल में—
- बढ़ते वाहनों का दबाव
- सीमित सड़कें
- चौराहों की जटिल संरचना
- रोज़मर्रा की ट्रैफिक चुनौतियाँ
इन सभी कारणों से पुलिस लगातार नयी तकनीकें आज़मा रही है।
इस क्यूआर आधारित डिजिटल सिस्टम को सफल बनाने के बाद इसे जबलपुर में भी लागू करने की भारी संभावना है, क्योंकि यहाँ भी—
- ऑटो की मनमानी
- बिना वेरिफिकेशन के वाहन चालक
- नो-पार्किंग क्षेत्रों में खड़े वाहन
- सुबह–शाम चौराहों पर भीड़
जैसी समस्याएँ आम हैं।
जबलपुर में लागू हुआ तो क्या बदलेगा?
- ऑटो और कैब चालकों की डिजिटल ट्रैकिंग संभव होगी
- महिला यात्रियों की सुरक्षा मजबूत होगी
- स्टेशन, बस स्टैंड, और मदन महल जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में अनुशासन बढ़ेगा
- ट्रैफिक पुलिस को वास्तविक समय में डाटा–आधारित निर्णय लेने में आसानी
- नागरिक सीधे ट्रैफिक पुलिस को अपने इलाके की समस्या भेज सकेंगे
नागरिकों में उत्सुकता और राहत
इस सिस्टम से—
- नियम तोड़ने वालों पर लगाम
- फर्जी नंबर वाले वाहनों पर रोक
- सवारी सुरक्षा में वृद्धि
- ट्रैफिक सुधार में जनता की भागीदारी
जैसी उम्मीदें जुड़ गई हैं।



