
जबलपुर शहर की सड़कों, दीवारों और बिजली के खंभों पर चिपके ‘आसान लोन’ के पोस्टर अब आम नागरिकों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रहे हैं। कम ब्याज दर, बिना गारंटी और तुरंत लोन दिलाने जैसे आकर्षक दावों के साथ लगे ये पोस्टर आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। हाल के दिनों में सामने आए मामलों ने साफ कर दिया है कि सड़क किनारे लगे ऐसे विज्ञापन ठगों के लिए लोगों को फंसाने का सबसे आसान माध्यम बन चुके हैं।
जरूरत का फायदा उठा रहे ठग
जब किसी व्यक्ति को पैसों की तत्काल जरूरत होती है और बैंक या वित्तीय संस्थानों की लंबी व जटिल प्रक्रिया उसे परेशान करती है, तब ये पोस्टर उसे त्वरित समाधान का भरोसा दिलाते हैं। पोस्टरों पर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करते ही खुद को एजेंट या अधिकारी बताने वाले लोग बड़े भरोसे के साथ लोन मंजूरी का आश्वासन देते हैं। शुरुआत में मामूली दस्तावेज और छोटी-सी रकम ‘प्रोसेसिंग फीस’ के नाम पर मांगी जाती है, जिससे पीड़ित का भरोसा और गहरा हो जाता है।
ग्वारीघाट का मामला बना चेतावनी
ऐसा ही एक मामला ग्वारीघाट क्षेत्र से सामने आया है, जिसने इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल खोल दी है। मुद्रा लोन का झांसा देकर पहले लालच दिया गया और फिर पैसे ऐंठने के बाद धमकियां दी जाने लगीं। पीड़ित नंदीलाल लाडिया ने पूरे घटनाक्रम की शिकायत पुलिस अधीक्षक को सौंपते हुए ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पोस्टर से शुरू हुई ठगी की कहानी
नंदीलाल के अनुसार उन्हें पैसों की जरूरत थी। इसी दौरान रानी दुर्गावती स्कूल, गढ़ा के पास दीवार पर चिपके मुद्रा लोन के एक पोस्टर पर उनकी नजर पड़ी। पोस्टर में दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर फोन उठाने वाले व्यक्ति ने भरोसा दिलाया कि मात्र 4 प्रतिशत ब्याज दर पर 10 लाख रुपये का लोन बेहद आसान प्रक्रिया में दिला दिया जाएगा।
दस्तावेजों से बनाया भरोसा
बातचीत के दौरान कथित एजेंट ने आधार कार्ड, समग्र आईडी, पैन कार्ड, फोटो और बैंक पासबुक की फोटो मांगी। नंदीलाल ने अपनी पत्नी सपना के नाम के दस्तावेज व्हाट्सएप पर भेज दिए। अगले ही दिन 20 दिसंबर को फोन कर बताया गया कि 10 लाख रुपये का लोन अप्रूव हो गया है और फाइल प्रोसेसिंग के लिए 2100 रुपये जमा करने होंगे।
क्यूआर कोड से भुगतान और अगला जाल
भुगतान के तरीके के बारे में पूछने पर ठगों ने व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेज दिया। भरोसा कर नंदीलाल ने ऑनलाइन माध्यम से 2100 रुपये का भुगतान कर दिया। इसके बाद 22 दिसंबर को एक अन्य नंबर से कॉल आया और व्हाट्सएप पर एक एग्रीमेंट की कॉपी भेजी गई, जिसमें लोन स्वीकृत होने की बात लिखी थी।
बीमा के नाम पर बड़ी रकम और धमकी
कुछ ही देर बाद ठगों ने बीमा प्रक्रिया का हवाला देते हुए ‘बड़े अधिकारी’ से बात कराने की बात कही। कॉन्फ्रेंस कॉल पर जुड़े व्यक्ति ने खुद को वरिष्ठ बताते हुए कहा कि लोन की राशि खाते में डालने से पहले 35,500 रुपये बीमा शुल्क के रूप में जमा करने होंगे। जब नंदीलाल ने इस मांग पर सवाल उठाए, तो ठगों का रवैया अचानक बदल गया।
पीड़ित का आरोप है कि ठगों ने गाली-गलौज की और यह कहकर धमकाया कि उनके पास मौजूद दस्तावेजों के आधार पर उन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा दिया जाएगा। जान से मारने की धमकी मिलने के बाद नंदीलाल ने आगे कोई भुगतान नहीं किया और पुलिस से शिकायत की।
शहर में सक्रिय गिरोह, बढ़ती शिकायतें
यह मामला कोई अकेला नहीं है। शहर के अलग-अलग इलाकों में ऐसे कई पोस्टर लगे हुए हैं, जिनके जरिए ठग सक्रिय रूप से लोगों को निशाना बना रहे हैं। पुलिस के पास भी लगातार इस तरह की शिकायतें पहुंच रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते लोग बार-बार इनके झांसे में आ रहे हैं।
सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव
विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी वैध बैंक या वित्तीय संस्था सड़क किनारे पोस्टर चिपकाकर लोन नहीं देती। लोन के नाम पर पहले से पैसे मांगना साफ तौर पर धोखाधड़ी का संकेत है। आम नागरिकों को चाहिए कि आसान और तुरंत लोन के लालच में न आएं, अनजान नंबरों पर अपने दस्तावेज साझा न करें और किसी भी तरह के भुगतान से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें।
सड़क किनारे लगे पोस्टरों से सावधान रहना अब सिर्फ एक सलाह नहीं, बल्कि समय की जरूरत बन गया है। थोड़ी-सी सतर्कता न केवल आपकी मेहनत की कमाई बचा सकती है, बल्कि आपको मानसिक, आर्थिक और कानूनी परेशानियों से भी सुरक्षित रख सकती है।



