
ढाका/नई दिल्ली (एजेंसी) । जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने इस घटना को न सिर्फ शर्मनाक बताया, बल्कि इसे इस्लाम की मूल शिक्षाओं के पूरी तरह खिलाफ करार दिया। मदनी ने चेतावनी दी कि पूरे उपमहाद्वीप और दुनिया भर में बढ़ते उग्रवाद और भीड़ की हिंसा का मजबूती से और मिलकर मुकाबला करना होगा।
रविवार को एएनआई से बातचीत में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या की खबर सुनकर उन्हें गहरा दुख और शर्मिंदगी महसूस हुई है। उन्होंने कहा, “यह बेहद शर्मनाक घटना है। जब मुसलमान इस तरह की हरकतें करते हैं, तो हमें शर्म से सिर झुकाना पड़ता है। किसी भी सभ्य समाज में किसी इंसान को दूसरे इंसान की जान लेने का अधिकार नहीं है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है।”
मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर कोई व्यक्ति कोई गलत काम करता है, तो उसके लिए सजा तय करने का अधिकार केवल कानून और न्यायिक प्रक्रिया को है, न कि किसी भीड़ को। उन्होंने कहा, “किसी ने कितना भी गलत काम क्यों न किया हो, उसके लिए सजा देने की एक कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी का पालन किया जाना चाहिए। अगर अपराध करने वाले मुसलमान हों और पीड़ित गैर-मुस्लिम हो, तो यह अपराध और भी ज्यादा जघन्य हो जाता है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।”
जमीयत प्रमुख ने इस्लाम का हवाला देते हुए कहा कि धर्म किसी भी परिस्थिति में हिंसा, हत्या या अपमान की अनुमति नहीं देता। “किसी की हत्या करना या किसी का अपमान करना इस्लाम की शिक्षाओं के बिल्कुल खिलाफ है। इस्लाम किसी भी कीमत पर ऐसी हरकतों की इजाजत नहीं देता,” उन्होंने दोहराया।
मौलाना मदनी ने इस घटना को व्यापक संदर्भ में रखते हुए कहा कि पूरे उपमहाद्वीप में उग्रवाद और कट्टरता का बढ़ना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस क्षेत्र में उग्रवाद लगातार बढ़ रहा है। न सिर्फ इस क्षेत्र में, बल्कि पूरी दुनिया में ऐसी प्रवृत्तियां सामने आ रही हैं। इसे रोकने और इसका मुकाबला करने के लिए सरकारों, समाज और धार्मिक नेतृत्व को मिलकर काम करना होगा।”
उल्लेखनीय है कि यह निंदा ऐसे समय में आई है जब बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंसा की कई घटनाओं के बाद माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। मैमनसिंह जिले में 18 दिसंबर को दीपू चंद्र दास की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि हत्या के बाद उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना से देश भर में आक्रोश फैल गया।
रविवार को बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए दस लोगों को गिरफ्तार करने की पुष्टि की। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने मामले में तेजी से कदम उठाते हुए आरोपियों को हिरासत में लिया है। रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जबकि पुलिस ने तीन अन्य आरोपियों को पकड़ा है।
इस बीच, सुरक्षा हालात को देखते हुए चटगांव स्थित भारतीय वीजा आवेदन केंद्र ने सभी वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की घोषणा की है। यह फैसला बंदरगाह शहर में भारतीय सहायक उच्चायोग में हुई एक सुरक्षा घटना के बाद लिया गया। केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सुरक्षा चिंताओं के कारण अगली सूचना तक वीजा सेवाएं बंद रहेंगी।
बांग्लादेश में हालात इसलिए भी संवेदनशील बने हुए हैं क्योंकि प्रमुख एक्टिविस्ट शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद राजधानी ढाका में भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। इन घटनाओं ने देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति और बढ़ती हिंसा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं।



