
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान 2024 से जुड़ा एक संवेदनशील और अहम अनुभव साझा किया, जिसने पश्चिम एशिया की राजनीति और फ़िलिस्तीन के मुद्दे को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है। गडकरी ने बताया कि वह हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानियेह से तेहरान में उनकी शहादत से कुछ ही घंटे पहले मिले थे।
गडकरी के मुताबिक, जुलाई 2024 में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर ईरान गए थे, जहां उन्होंने नवनिर्वाचित ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसी कार्यक्रम के दौरान उनकी नज़र एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी, जिसे ईरानी नेतृत्व की ओर से विशेष सम्मान और महत्व दिया जा रहा था।
उन्होंने बताया,
“मैंने देखा कि वह व्यक्ति राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस के साथ मौजूद था। मैंने उनसे हाथ मिलाया और परिचय पूछा, तब मुझे बताया गया कि वह हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानियेह हैं।”
गडकरी ने कहा कि ईरानी सरकार की ओर से हानियेह को जिस तरह से विशेष प्राथमिकता दी जा रही थी, उससे यह साफ़ था कि वह क्षेत्रीय राजनीति में एक अहम और प्रभावशाली शख़्सियत थे।
सुबह-सुबह मिली दुखद खबर
गडकरी ने बताया कि अगले दिन तड़के सुबह करीब 4 बजे भारतीय राजदूत ने उन्हें जगाकर एक सूचना दी।
“उन्होंने कहा कि जो हमास के नेता कल यहां थे, उनकी उनके कमरे में हत्या कर दी गई है।”
बाद में ईरानी अधिकारियों ने पुष्टि की कि 31 जुलाई 2024 को तड़के करीब 1:15 बजे इस्माइल हानियेह की हत्या कर दी गई। यह घटना इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की निगरानी वाले एक सुरक्षित परिसर के भीतर हुई। इस हमले में हानियेह के एक बॉडीगार्ड की भी जान चली गई।
गडकरी का संदेश: बदलता युद्ध और टेक्नोलॉजी
गडकरी ने इस अनुभव का ज़िक्र करते हुए आधुनिक दौर में युद्ध और सुरक्षा के बदलते स्वरूप पर बात की। उन्होंने कहा कि आज टेक्नोलॉजी इतनी उन्नत हो चुकी है कि यह समझ पाना भी मुश्किल है कि हमला कहां से और कैसे किया गया।
Source : Zee News: ‘हमास चीफ हनिया की हत्या से कुछ घंटे पहले उनसे मिला था’, नितिन गडकरी का दावा
भारतीय मुस्लिम समाज के लिए गडकरी का यह बयान सिर्फ़ एक राजनीतिक अनुभव नहीं, बल्कि फ़िलिस्तीन के संघर्ष, मुस्लिम नेतृत्व की चुनौतियों और वैश्विक अस्थिरता की एक याद भी है। इस्माइल हानियेह की शहादत यह दिखाती है कि आज की दुनिया में सत्ता, संघर्ष और टेक्नोलॉजी किस कदर आपस में जुड़ चुके हैं—और इसका असर सीमाओं से परे आम लोगों और समुदायों तक महसूस किया जा रहा है।
हमले को लेकर सवाल बरकरार
हानियेह की हत्या के तरीके को लेकर अब तक पूरी तस्वीर साफ़ नहीं हो पाई है। ईरानी अधिकारियों ने संकेत दिया था कि इसमें शॉर्ट-रेंज मिसाइल का इस्तेमाल हुआ हो सकता है, जबकि कुछ रिपोर्टों में गेस्ट हाउस के भीतर विस्फोटक लगाए जाने की बात भी कही गई।
हमास और IRGC ने इस हत्या के लिए इज़राइल पर आरोप लगाए थे। यह घटना फ़िलिस्तीन समर्थक मुस्लिम समाज के लिए गहरे दुख और चिंता का कारण बनी थी।
फ़िलिस्तीन के लिए एक बड़ा नुकसान
इस्माइल हानियेह को फ़िलिस्तीनी संघर्ष की एक अहम राजनीतिक आवाज़ माना जाता था। उनकी शहादत को न सिर्फ हमास, बल्कि पूरी फ़िलिस्तीनी क़यादत और समर्थकों के लिए एक बड़ा झटका माना गया। भारतीय मुस्लिम समाज में भी इस घटना को फ़िलिस्तीन में जारी संघर्ष और वहां के नेतृत्व की असुरक्षा के संदर्भ में देखा गया।
उन्होंने ज़ोर दिया कि आने वाले समय में केवल रक्षा ही नहीं, बल्कि कृषि, उद्योग, व्यापार और विकास के हर क्षेत्र में आधुनिक टेक्नोलॉजी अपनाना ज़रूरी होगा। उनके अनुसार, मज़बूत तकनीकी क्षमताएं ही किसी भी देश की सुरक्षा और प्रभाव को तय करेंगी।



