
Baz News Network (BNN): उत्तराखंड में कश्मीरी वेंडर्स के खिलाफ लगातार सामने आ रहे हेट क्राइम के मामलों के बीच एक और गंभीर घटना सामने आई है। उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में कश्मीर के कुपवाड़ा निवासी बिलाल अहमद गनी पर कथित तौर पर बुरी तरह हमला किया गया, उन्हें धमकाया गया और इलाका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। गनी उत्तराखंड में मज़दूरी के साथ-साथ सीज़नल शॉल वेंडर के तौर पर काम करते हैं।
इस घटना को सामने लाते हुए जम्मू और कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (JKSA) ने गुरुवार को उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ को एक पत्र लिखकर मामले पर “गहरी तकलीफ़ और गंभीर चिंता” जताई है। एसोसिएशन ने मांग की है कि घटना की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
JKSA के मुताबिक, बिलाल अहमद गनी पर बजरंग दल से जुड़े कुछ एक्टिविस्ट्स के एक समूह ने हमला किया। एसोसिएशन का आरोप है कि इस हमले की अगुवाई कथित तौर पर संगठन के एक स्थानीय नेता अंकुर सिंह ने की। पत्र में कहा गया है कि गनी को न केवल शारीरिक रूप से निशाना बनाया गया, बल्कि उन्हें धमकाया गया, डराया गया और उनका शॉल का स्टॉक भी लूट लिया गया।
JKSA के नेशनल कन्वीनर नासिर खुएहामी ने कहा कि बिलाल अहमद गनी लंबे समय से इलाके में रहकर शांतिपूर्वक काम कर रहे थे। इसके बावजूद, उन पर हमला किया गया, जान से मारने की धमकी दी गई, और उन्हें इलाका खाली करने व तुरंत राज्य छोड़ने के लिए कहा गया। खुएहामी के अनुसार, इस घटना ने गनी को अपनी रोज़ी-रोटी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
खुएहामी ने कहा,
“इस तरह के कृत्य न केवल पीड़ित व्यक्ति के लिए, बल्कि उत्तराखंड में काम कर रहे अन्य कश्मीरी व्यापारियों और मज़दूरों के लिए भी भय और आतंक का माहौल पैदा करते हैं, जो अपने परिवारों का पेट पालने के लिए मौसमी काम पर निर्भर हैं।”
एसोसिएशन ने अपने पत्र में यह भी कहा कि कश्मीरी वेंडर्स और मज़दूर देश के अलग-अलग हिस्सों में मेहनत-मज़दूरी करके आजीविका चलाते हैं और ऐसे हमले संविधान द्वारा दिए गए जीवन, गरिमा और आज़ादी के अधिकारों का सीधा उल्लंघन हैं।
JKSA ने उत्तराखंड पुलिस से मांग की है कि पीड़ित को सुरक्षा दी जाए, लूटे गए सामान की भरपाई सुनिश्चित की जाए और कश्मीरी वेंडर्स के खिलाफ बढ़ती नफ़रत और हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं।



