
सावन का महीना इस बार अपने पूरे शबाब पर है। बंगाल की खाड़ी से उठे भारी मानसूनी बादलों और झारखंड-उड़ीसा क्षेत्र में बने चक्रवाती दबाव के चलते जबलपुर समेत पूरे महाकौशल अंचल में लगातार बारिश हो रही है। सोमवार की रात से शुरू हुआ यह सिलसिला मंगलवार की शाम तक जारी रहा—कभी रिमझिम तो कभी मूसलधार बारिश ने शहर को तरबतर कर दिया। 24 घंटे में 49.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे शहर में अब तक की कुल वर्षा 28.4 इंच (722.5 मिमी) तक पहुंच चुकी है।
जलस्रोतों में उफान, घाटों पर पानी
लगातार बारिश से नर्मदा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। शहर के सभी प्रमुख घाट जलमग्न हो चुके हैं। कई मंदिरों में 2 से 3 फीट तक पानी भर गया है। बरगी बांध का जलस्तर 420.05 मीटर तक पहुंच गया है, जबकि परियट जलाशय पूरी तरह भर चुका है। पानी के बहाव और जलस्तर की निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके।
शहर में जलभराव और गंदगी
बारिश से शहर की सड़कों पर जगह-जगह जलभराव हो गया है। कई रिहायशी कॉलोनियों में पानी के साथ कचरा और गंदगी फैल गई है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नगर निगम के सफाई अमले को अलर्ट पर रखा गया है, लेकिन कई क्षेत्रों में नागरिकों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग की चेतावनी
स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, झारखंड और उड़ीसा के ऊपर बने चक्रवात का असर अभी कम नहीं हुआ है। पूर्वी मध्यप्रदेश में भारी नमी के साथ मानसूनी बादल सक्रिय हैं। अगले 24 घंटे तक गरज-चमक के साथ बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है।
👉 तापमान में गिरावट दर्ज:
- अधिकतम तापमान: 26.7°C (सामान्य से 3 डिग्री कम)
- न्यूनतम तापमान: 21.4°C (सामान्य से 3 डिग्री कम)
- आर्द्रता: सुबह 95%, शाम 93%
- हवाएं: दक्षिण-पश्चिम दिशा से 4–5 किमी/घंटे की रफ्तार से चलीं
लोगों को मिली गर्मी से राहत
बारिश से भले ही जीवन अस्त-व्यस्त हुआ हो, लेकिन लंबे समय से झेल रही गर्मी से लोगों ने राहत की सांस ली है। सावन के इस भीगे मौसम ने ठंडक घोल दी है और वातावरण में हरियाली लौट आई है। किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं, क्योंकि खरीफ फसलों के लिए यह बारिश संजीवनी साबित हो रही है।
आने वाले दिन
मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि जबलपुर संभाग में अगले कुछ दिनों तक इसी तरह बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें और आवश्यक सावधानियां बरतें, विशेषकर निचले इलाकों में रहने वाले लोग जलभराव से बचाव के लिए तैयार रहें।