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IndoreMadhya Pradesh

(इन्दौर) डिजिटल लुटेरों का हैरतअंगेज कारनामा: कैट के सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी से 71 लाख की लूट

इन्दौर। इन्दौर में डिजिटल लुटेरों ने एक चौंकाने वाली घटना को अंजाम देते हुए आरआर कैट में कार्यरत एक सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख 33 हजार रुपए की लूट की। इन शातिर लुटेरों ने दोनों को छह दिन तक अपने जाल में फंसाए रखा और उन्हें डराया कि वे एक गंभीर केस में फंसे हुए हैं, जिसमें बैंकों के मैनेजर और पुलिस भी शामिल हैं।

डिजिटल अरेस्ट का खेल

लुटेरों ने पहले साइंटिस्ट और उनकी पत्नी से उनके सभी बैंक अकाउंट्स, म्यूचुअल फंड की जानकारी ली और उन्हें म्यूचुअल फंड कैश करने के लिए मजबूर किया। फिर, उन्होंने खुद को आरबीआई के अधिकारी बताते हुए कहा कि वे जांच के दौरान एक घंटे में उन्हें पूरा पैसा वापस कर देंगे।

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आरोपियों की पहचान और जांच प्रक्रिया

इन लुटेरों ने उन्हें यह भी कहा कि ईडी और सीबीआई से उन्हें एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा, ताकि भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके बाद लुटेरों ने उन्हें नजदीकी थाने जाकर क्लीयरेंस लाने के लिए भी कहा। जब दोनों थाने पहुंचे, तब उन्हें अपनी डिजिटल लूट की सच्चाई का पता चला।

पुलिस की कार्रवाई

उनकी शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने बीएनएस की धारा 308(2), 318(4), 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है। एडीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया के अनुसार, लुटेरों ने खुद को सीबीआई, दिल्ली क्राइम ब्रांच, ईडी, आरबीआई और ट्राई के अधिकारी बताते हुए सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी से पूछताछ की।

फोन कॉल की शुरुआत

यह घटना 1 सितंबर को हुई, जब सुबह साइंटिस्ट के मोबाइल पर 9580754384 नंबर से एक फोन आया। फोन करने वाले ने उन्हें बताया कि 18 अगस्त 2024 को दिल्ली में एक सिमकार्ड जारी की गई है, जिसका उपयोग गैरकानूनी विज्ञापनों और महिला उत्पीड़न संबंधी एसएमएस भेजने के लिए किया जा रहा है।

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धोखाधड़ी का तरीका

लुटेरे ने अपना नाम सुशांत कुमार बताया और फर्जी शिकायत नंबर DL1045/0824 दिया। जब साइंटिस्ट ने कहा कि उन्होंने दिल्ली से कभी सिम नहीं ली, तो दूसरे लुटेरे ने दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर फोन किया और उन्हें डराया कि उनके नंबर का मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में उपयोग किया गया है।

जाल में फंसने की प्रक्रिया

लुटेरों ने साइंटिस्ट को बताया कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो गया है और उन्हें व्हाट्सएप पर एक गिरफ्तारी वारंट भेज दिया। उन्होंने कहा कि इस केस में 300 लोग शामिल हैं, और उनमें से एक वे हैं। अगले दिन फिर से ठगों ने उन्हें सीबीआई अधिकारी बनकर फोन किया और इंटरनेट कॉलिंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की।

आखिरी कदम

लुटेरों ने उन्हें आरबीआई के अधिकारी बनकर कहा कि वे 71 लाख से ज्यादा पैसे अपने विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा रहे हैं। इसके बाद उन्हें नजदीकी थाने में क्लीयरेंस लाने के लिए कहा गया, ताकि पुलिस को भी इस वारदात की जानकारी मिल सके।

यह घटना यह दर्शाती है कि डिजिटल धोखाधड़ी के मामले में सावधानी बरतना कितना महत्वपूर्ण है। पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की है और लुटेरों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

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