Jabalpur

जबलपुर के मुस्लिम क्षेत्रों में ठीक अफ्तार के समय गोल हो रही लाईट!!

जबलपुर। साल भर इस इंतेजार में गुजरते हैं कि रमजान मिले। रमजान में दिन इस इंतजार में गुजरते हैं, कि अफ्तार के समय दुआ, तिलावत और जिक्र का मौका मिले। लेकिन ऐन दुआ के समय, अगर बिजली चली जाए। तब अंधेरे होने से ज्यादा अफसोस, इबादत का कीमती समय हाथ से निकलने का होता है। इस अफसोस से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के हजारों लोगों को गुजरना पड़ रहा है। यहां आए दिन अफ्तार के समय ही बिजली गुल हो रही है।

अब यह महज इत्तेफाक है, कोई बड़ी तकनीकी खामी या शरारत कि रमजान के दिनों में ऐन अफ्तार के समय मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कई जगह बिजली गुल होने की शिकायत सामने आ रही है। चांदनी चौक, नई बस्ती से लेकर रजा चौक तक कई मोहल्लें तो ऐसे हैं जिनकी शिकायत है कि वहां रोज शाम को अफ्तार के समय बिजली गुल होती है। वहीं कमोबेश पूरे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में हर दूसरे दिन लाईट गोल होने की शिकायत है।

गुरुवार (जुमेरात) को भी चांदनी चौक, मंडी, नई बस्ती समेत बड़े क्षेत्र में असर की नमाज के बाद बिजली गोल हुई और मगरिब की अजान के बाद आ गई।

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दिनभर पूरे 24 घटे लाईट रहना, फिर ठीक अफ्तार के समय गोल होना और अफ्तार के फौरन बाद आ जाना समझ से परे वाली बात हो गई है। एक दो बार तो समझ में आता है। लेकिन बार बार ऐसा होना बिजली विभाग की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है।

आम क्षेत्रीयवासियों की मांग है कि बिजली विभाग के अधिकारी इस दिशा में ध्यान दें। यदि कोई तकनीकी खामी है तो उसे प्राथमिकता से दुरुस्त करें, वहीं यदि किसी अधिकारी कर्मचारी की शरारत है तो उसपर कार्यवाही हो। लेकिन इस दिशा में ध्यान दिया जाए।

निकल जाता है इबादत का समय……

अफतार का समय एक ऐसा समय है, जब मजदूर से लेकर व्यापारी तक, महिलाओं से लेकर बच्चे तक सब अपने हर काम को छोड़कर नमाज, तिलावत, तसबीह और  दुआ के लिये बैठते हैं। साल भर अलग अलग वजह से समय नहीं निकाल पाने वाले भी रमजान में असर से मगरिब के बीच जिक्र, तिलावत दुआ के लिये समय निकालते हैं। अफ्तार के समय को दुआ की कबूलियत के लिहाज अफजल तरीन माना गया है। लेकिन इतने अहम समय में अंधेरा हो जाए तो दिल और जजबात का टूटना लाजमी है।

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अपील तक सीमित नेता…..

वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के नेताओं का हाल यह है कि उनकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन से रमजान में व्यवस्था की अपील करने और अपना नाम अख्बार में छपवाने तक सीमित है। फिर जब व्यवस्थाएं पूरी नहीं होती तो किसी नेता को फुरसत नहीं कि वो आगे आकर जन समस्या पर काम करे। इस मामले में भी जहां एक बड़ी आबादी रमजान में बिजली गुल होने की समस्या से परेशान हैं, वहां मुस्लिम क्षेत्र के नेता लापता है।

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