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83 वर्षीय महिला से 1.24 करोड़ की ठगी: ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर ठगों ने बनाया शिकार, जांच में जुटी साइबर पुलिस

डिजिटल अरेस्ट : बेंगलुरु में एक और डिजिटल फ्रॉड का मामला सामने आया है, जिसमें 83 वर्षीय बुजुर्ग महिला को ठगों ने ठगी का शिकार बनाया। आरोपियों ने खुद को सीबीआई और मुंबई पुलिस के अधिकारी बताकर महिला को 1.24 करोड़ रुपए का चूना लगाया। दो महीने पहले हुई इस घटना का खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता ने संदेह के बाद साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।


कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड?

मामले के मुताबिक, आरोपियों ने बुजुर्ग महिला को फोन कॉल के माध्यम से डराया। उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है और वे अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। डर के माहौल में महिला से डिजिटल अरेस्ट का झांसा लेकर उनकी बैंक डिटेल्स और अन्य जानकारी हासिल की गई।

जालसाजों ने महिला पर यह दबाव बनाया कि वह अपनी बैंक जानकारी तुरंत साझा करें। डर के कारण पीड़िता ने आरोपियों की बातों में आकर किश्तों में पैसे ट्रांसफर किए। महिला ने कुल 1.24 करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की, जिसमें 32 लाख, फिर 50 लाख, फिर 32 लाख और फिर 10 लाख के भुगतान शामिल थे।

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पैसे ट्रांसफर करने के बाद ही महिला को संदेह हुआ कि उन्हें ठगों ने निशाना बनाया है। इसके बाद महिला ने मामले की जांच शुरू की और साइबर फ्रॉड का शिकार होने का एहसास हुआ।


साइबर पुलिस ने शुरू की कार्रवाई

साइबर पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और अपराधियों की तलाश शुरू कर दी है। जांच एजेंसियां अपराधियों की पहचान और उन्हें पकड़ने की प्रक्रिया में जुट गई हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इस प्रकार की ठगी में डिजिटल अरेस्ट का तरीका सबसे भयावह होता है। ठग किसी के मानसिक दबाव का फायदा उठाकर उन्हें डराते हैं और बिना सच-जांच के पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर देते हैं।


साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाएं

बेंगलुरु में बुजुर्ग महिला के साथ हुई इस घटना से साफ है कि साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। बीते कुछ महीनों में इस प्रकार के मामलों की बाढ़ सी आ गई है। उदाहरण के लिए, हाल ही में यूपी के सोनभद्र में भी एक बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 10 लाख रुपए की ठगी की गई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन ठगी की घटनाओं में साइबर अपराधियों का तरीका इतना प्रभावी होता है कि लोग जल्दी डर के शिकार हो जाते हैं और उनके जाल में फंस जाते हैं।


विशेषज्ञों की सलाह: सावधानी ही समाधान है

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, डिजिटल ठगी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है। किसी भी कॉल या संदिग्ध मैसेज पर तुरंत विश्वास न करें।

  1. किसी भी सरकारी एजेंसी या बैंक से आई जानकारी पर तत्काल भरोसा न करें।
  2. अपने बैंक अकाउंट और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को सुरक्षित रखें।
  3. संदिग्ध कॉल्स की जानकारी तुरंत पुलिस में दें।
  4. बड़ों को डिजिटल फ्रॉड और साइबर क्राइम के खतरे से बचाने के लिए जागरूक करें।

बुजुर्गों को डिजिटल ठगी से बचाने की जिम्मेदारी समाज और सरकारी एजेंसियों पर भी है। इस तरह के मामलों में समय पर पुलिस कार्रवाई और साइबर जागरूकता अभियान ही समाधान का एकमात्र तरीका साबित हो सकते हैं।

साइबर पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और उम्मीद जताई जा रही है कि अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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