
ग़ज़ा | क़ुद्स न्यूज़ नेटवर्क | बाज़ मीडिया रिपोर्ट
इज़राइल की तरफ़ से ग़ज़ा पर जारी जंग अब एक खुले आम नरसंहार का रूप ले चुकी है। ग़ज़ा के हेल्थ मिनिस्ट्री ने मंगलवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से लेकर अब तक 60,034 फ़िलिस्तीनी शहीद किए जा चुके हैं, जिनमें 18,592 मासूम बच्चे, 9,782 औरतें और 4,412 बुज़ुर्ग और सेवक शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि इन तीन तबक़ों को मिलाकर कुल शहीदों का 55 फ़ीसदी हिस्सा बनता है, जो साफ़ दिखाता है कि इज़राइल जान-बूझकर बेगुनाह अवाम को टार्गेट कर रहा है।

हर 36वां शख्स इस जंग में जान गंवा चुका है
अल जज़ीरा की रिपोर्ट बताती है कि ग़ज़ा की पूरी आबादी में से हर 36वां शख़्स इस हमले में जान गंवा चुका है। औसतन हर दिन 90 से ज़्यादा लाशें उठ रही हैं। यह कोई आम जंग नहीं, बल्कि सरेआम इंसानियत का क़त्ल है।
पांच महीने से मदद बंद, अब भूख भी मार रही है
इज़राइल ने करीब 5 महीने से ग़ज़ा में राहत सामग्री का रास्ता बंद कर रखा है। न खाना, न पानी, न दवाएं, न ईंधन। इसका अंजाम यह है कि ग़ज़ा में अब भुखमरी भी जान लेने लगी है।
दुनिया की सबसे भरोसेमंद भुखमरी पर निगरानी रखने वाली संस्था IPC (इंटीग्रेटेड फ़ूड सिक्योरिटी फेज़ क्लासिफिकेशन) ने कहा है कि ग़ज़ा अब “सबसे बदतर भुखमरी” से जूझ रहा है।
147 मौतें भूख से, 88 बच्चे भी शामिल
ग़ज़ा में अब तक 147 लोग भूख और कुपोषण की वजह से दम तोड़ चुके हैं, इनमें 88 बच्चे और नवजात शामिल हैं। जो बच भी गए हैं, उनकी हालत खौफ़नाक है — सूजी हुई आंखें, पिचकी हुई पसलियां, और थरथराते जिस्म।


संयुक्त राष्ट्र महासचिव बोले: यह बर्बादी बंद होनी चाहिए
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने साफ कहा:
“ग़ज़ा अब भुखमरी झेल रहा है। मदद की बूंदों को समुंदर बनना होगा। यह खौफनाक मंज़र अब खत्म होना चाहिए। हर ज़िम्मेदार को अब काम पर लगना होगा।”
📣 हिंदुस्तानी मुसलमानों से अपील
- ग़ज़ा की इस आवाज़ को दबने मत दीजिए।
- जो हो रहा है, वो सिर्फ़ ग़ज़ा का मसला नहीं, ये इंसाफ और ज़ालिम के बीच जंग है।
- इस रिपोर्ट को शेयर कीजिए, मस्जिदों में दुआओं में ग़ज़ा को याद रखिए, और जहाँ हो सके, मदद के रास्ते तलाश कीजिए।
📌 बाज़ मीडिया — हम आपके ज़रिया ग़ज़ा की सच्चाई हर हिंदुस्तानी तक पहुँचाना चाहते हैं।
✍️ ख़बरों को ज़िंदा रखने के लिए हमसे जुड़िए, और आज़ाद मीडिया को मज़बूत बनाइए।
