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Jabalpur

दुनिया बर्बादी के दहाने पर, इसे बचने का वाहिद रास्ता इस्लामः जमाअते इस्लामी जबलपुर

जमाअते इस्लामी जबलपुर

जबलपुर। शहादते इमाम हुसैन (रजी) हमें पैगाम देती है कि हम अपने समाज, शहर और मुल्क में मजलूम की हिमायत में खड़े हों और जालिम का हाथ रोकने वाले बनें। यह बात गुलाम रसूल साहब ने यौमे आशूरा के दिन मुनअकिद किये गये जमाते इस्लामी जबलपुर के एक रोजा इज्तिमे से खिताब करते हुये कही।

इम्तियाज अहमद साहब ने अपने खिताब में कहा, आज इंसानियत बर्बादी के दहाने पर खड़ी है और इसे बचाने का वाहिद रास्ता यही है कि दुनिया अल्लाह और रसूल (सल्ल) के बताए रास्ते की तरफ लौट आए।

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इजतिमे में नईम अहमद साहब ने कहा सियासत जब तक इलाही हिदायत से महरूम रहेगी, तब तक जुल्म सितम की खून खराबे की वजह बनेगी। खुर्शीद अहमद साहब ने कहा देश और दुनिया में अदल इंसाफ बराबरी कायम करने का वाहिद रास्ता यही है कि इस्लाम के उसूले हुकमरानी को अपनाया जाए।

जमील साहब ने कहा इस्लाम के बताए रास्तों पर अगर हम बच्चों की तर्बियत करेंगे, तो बच्चे दुनिया और आखरत दोनों जगह कामयाब होंगे। मोहम्मद साबिर साहब ने कहा, कल का समाज आज के बच्चे है, बच्चो की तर्बियत में बरती जा रही गफलत हमारे आने वाले समाज को बर्बाद कर देगी। नाजिया साहिबा ने कहा माओं की जिम्मेदारी सिर्फ बच्चों को अच्छा खाना देने पर खत्म नहीं होती, बच्चों को दीन से जोड़ना और उन्हें सही गलत की बुनियादी तालीम देना मां की पहली जिम्मेदारी है।


यौमे आशूरा (10  मोहर्रम) के मौके पर जमाअते इस्लामी जबलपुर के जेरे अहतिमाम एक रोजा इजतिमा का अहतिमाम अंसारी बरात घर गोहलपुर में किया गया। सुबह 11 बजे इज्तेमा का आगाज नुरुल हक साहब के दर्स ए कुरआन से हुआ, वहीं इजतिमे का इखतिताम (समापन) गुलाम रसूल साहब के सदारती खिताब से हुआ। इस दौरान करीब 550 पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग, नौजवान शामिल हुये। इजतिमा गाह में ही अफतार व तुआम का अहतिमाम किया गया।

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इजतिमे का पहला सेशन सुबह 11 बजे शुरु हुआ। जिसमें नूरुलहक साहब ने सुरह सफ की दूसरी रुकू पर दर्स कुरआन दिया। जिसके बाद जर्रार अहमद ने हम्द ओ नात पढ़ी। कार्यक्रम में इफतिताही कलेमात गुलाम रसूल साहब ने दिये।

जिसके बाद कुरआन की सियासी तालीमात पर मोहम्मब नईम साहब और इस्लाम के उसूले हुकमरानी पर खुर्शीद अहमद साहब ने खिताब किया। वहीं समीउल्लह साहब, हस्सान अहमद और खदीजा बानो ने खिलाफते राशिदे का निजाम, तरीकेकार और पैगाम पर इजहारे खयाल किया।

दूसरा सेशन जोहर की नमाज के बाद शुरु हुआ, जिसके कनवीनर मोहम्म सलीम साहब रहे। यहां सगीर अहमद साहब ने दर्से हदीस पेश किया।

जिसके बाद इस्लामिक क्विज प्रोग्राम मोहम्द आसिम साहब के को-आर्डिनेशन में आयाजित किया गया।

सेशन के दूसरे हिस्से में शाहिद अहमद, खैरुन्निसा साहिबा और मसूदुल हसन साहब ने खिताब किया।

बच्चो की तर्बियत के उनवान पर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। जहां जमील साहब, गुलाम साबिर, उबैलदुललाह आमिर, नाजिया साहिबा, शकीला साहिबा और महमूदा साहिबा ने बच्चों की तर्बियत पर इजहारे खयाल पेश किये।

इजतिमे का आखरी सेशन अस्र की नमाज के बाद शुरु हुआ। जिसके कन्वीनर सैययद नाजिम अली थे।

इस्लाम में इज्तिमाईयत का मकाम और अहमियत के उनवान पर मोहम्मद इम्तियाज साहब ने खुसूसी खिताब किया। वहीं मुल्क और मिल्लत की मौजूदा सूरते हाल और हमारी जिम्मेदारी पर गुलाम रसूल साहब के सदारती खिताब के साथ कार्यक्रम समाप्त हो गया।

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