लम्हा ए फिक्र : जबलपुर मुस्लिम समाज में 3 महीने में 3 हत्या, 7 ज़िंदगियां बर्बाद
आज समाज ने ध्यान नहीं दिया तो कल खौफनाक नतीजे आएंगे
कभी जघन्य अपराधों से महफूज रहने वाला जबलपुर का मुस्लिम समाज आज एक के बाद एक दर्दनाक हत्याकाण्ड का गवाह बन रहा है।
उससे चौकाने वाली बात यह है कि यह हत्याएं पेशेवर अपराधी या असमाजिक तत्वों के हाथों नहीं हो रही। इन घटनाओं में आरोपी वो हैं, जिनका अपराध की दुनिया से पहले का कोई रिश्ता नहीं था। यह समाज के स्टूडेंट हैं, कामकाजी लोग हैं, जिनके हाथ से चाकू चल रहे हैं।
यही पूरे समाज समाज के लिये फिक्रमंद होने की वजह होनी चाहिये कि,
आखिर गलती कहा हो रही है..?
2 जुलाई को नया मोहल्ला में 17 साल की तमन्ना कुरैशी की गला काटकर हत्या हुई। 17 जुलाई को मक्का नगर में 18 साल के अरहान की पेट में चाकू मारकर अतड़ी निकाल कर हत्या हुई। दो माह पूर्व 8 अप्रैल को हड्डी गोदाम में 27 साल की नाजिया की इसी तरह दर्दनाक हत्या की गई।
तीनों घटनाओं में आरोपी, अपराधिक बैकग्राउंड के नहीं है। जहां तमन्ना की हत्या का आरोपी गुफरान महज 18 का है। वहीं अरहान की हत्या के आरोपी नौशाद शादाब भी 21 से कम के हैं, उनका भी अपराधिक बैकग्राउंड नहीं दिखता। वहीं नाजिया की हत्या करने वाला उसकी बहन का शोहर 28 साल का इमरान भी आटो चलाता था।
नया मोहल्ला, मक्का नगर और हड्डीगोदाम हत्याकाण्ड को हम एक समान्य अपराध मानकर भूल सकते हैं। अगर हमने ऐसा किया तो आने वाले दिनों में कई तमन्नाएं कत्ल होंगी, कई अरहान जैसे बच्चे कत्ल होंगे, कई नाजिया बेमौत मारी जाएंगी।
क्योंकि जिन वजहों से यह तीनों हत्याएं हुई हैं। वो सभी कारण किसी न किसी रूप में हर घर में मौजूद है।
टूटते घरों की कहानी नाजिया…
रमजान के आखरी अशरा में नाजिया अपने मायके आई थी, इमरान उसे लेने पहुंचा और विवाद यहां तक बढ़ा की उसने अपनी बीवी और साली पर चाकू से हमला कर दिया। नतीजे में साली की मौत हो गई।
नाजिया हत्याकाण्ड की बुनियादी वजह यही सामने आई की मियां बीवी के बीच आपसी नाइत्तफाकी दोनो के बीच दूरी की वजह बनती गई। वहीं घर वालों का गलत तरीके से दिया जाना वाला दखल और रहनुमाई की कमी दर्दनाक हत्याकाण्ड पर पहुंची।
हाथ से निकले युवाओं का शिकार अरहान…
मोहर्रम की 10 तारीख को मक्कानगर में 17 साल के अरहान की हत्या हुई, यहां अरहान अच्छा स्टूडेंट था। वहीं आरोपी भी अपराधी बैकग्राउंड के नहीं थे। यहां पड़ोसियों के लम्बे समय से चलते आपसी विवाद की बात सामने आ रही है। तो वहीं अफेयर भी एक वजह बताए जा रहे हैं।
इस्टाग्राम पर बर्बाद हुई नस्ल का मातम…
1 जुलाई को हुये तमन्ना हत्याकाण में 17 साल की तमन्ना कुरैशी छात्रा थी, वहीं आरोपी गुफरान भी कम उम्र स्टूडेंट ही था। दोनों अच्छे दोस्त थे। दोनों की आपसी नाइत्तफाकी और घर के बड़े की लापरवाही में पूरा घटनाक्रम हो गया। यहां तमन्ना की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं गुफरान अपराधी बन गया।
यहां भी सोशल मीडिया, गलत लाइफ स्टाईल और तर्बियत की कमी इस दर्दनाक हत्याकाण्ड की वजह बनकर सामने आ रही है।
समाज की 7 उम्मीदें तबाह…
बीते तीनों हत्यकाण्ड में जहां अरहान, नाजिया और तमन्ना दर्दनाक मौत का शिकार बनीं। तो वहीं नौशाद, शादाब, इमरान और गुफरान जिनको आगे तरक्की करना था, वो अपराध की भेंट चढ़कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठे। आसान शब्दों में कहा जाए तो तीन महीने में मुस्लिम समाज की 7 कीमती जिंदगियां बर्बाद हो गई।
जब ऐसे लोग अपराधी बनते हैं जिनका अपराध की दुनिया से कोई रिश्ता नहीं। जब ऐसे लोग दर्दनाक अपराध का शिकार बनते हैं, जिनकी कोई बड़ी गलती नहीं। तब जिम्मेदार पूरा समाज होता है। क्योंकि समाज में जो गलत तब्दीली आई है, यह घटनाएं उन्हीं तब्दीली की गवाह होती हैं। इसलिये ऐसी घटनाओं पर पूरे समाज को फिक्रमंद होना चाहिये। तभी ऐसी घटनाएं रुकती और कम होती हैं।
समाजिक सतह पर यह सोचने और जागरुकता पैâलाने का समय है। जिसके उलेमाए किराम, समाज सेवी, शिक्षकों और समाज का दर्द रखने वाले हर खास ओ आम को आगे आना चाहिये। जिससे आने वाले कल में ऐसी घटनाएं थम सकें।