घमापुर में स्मार्ट मीटर शंट करने वाले रैकेट का भंडाफोड़, रिटायर्ड कर्मचारी ने लगाया करोड़ों का चूना, 17 मीटर जब्त

जबलपुर। घमापुर क्षेत्र में बिजली चोरी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक रिटायर्ड विद्युत कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई है। पुलिस और बिजली विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर इस रैकेट का खुलासा किया, जो 6,000 रुपये लेकर लोगों के बिजली मीटर में शंट कर देता था, जिससे उनके बिजली बिल में भारी कमी आ जाती थी। खास बात यह है कि यह रैकेट स्मार्ट मीटरों में गड़बड़ी करता था, जिनका उद्देश्य बिजली चोरी को रोकना था। इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 17 मीटर जब्त किए और मुख्य आरोपी कैलाश कोरी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, जो फिलहाल फरार है।
शिकायतों के बाद अधिकारियों ने शुरू की जांच
विद्युत कंपनी के सिटी सर्किल में पदस्थ अधीक्षण यंत्री संजय अरोरा को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि घमापुर क्षेत्र में कई घरों के बिजली मीटर सही तरीके से रीडिंग नहीं दिखा रहे हैं। इस पर संजय अरोरा ने बिजली विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान कुछ घरों के मीटरों की गहनता से जांच की गई और पाया गया कि मीटर के अंदर पतली तारों से छेड़छाड़ की गई थी।
यह छेड़छाड़ इतनी सफाई से की गई थी कि मीटर बाहर से बिल्कुल सही दिखाई देते थे, लेकिन अंदर बिजली खपत को कम करने के लिए शंट लगाया गया था। इससे उपभोक्ताओं का बिल काफी कम आता था। जब उपभोक्ताओं से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि बाई का बगीचा निवासी कैलाश कोरी नामक व्यक्ति इस काम के लिए 5,000 से 6,000 रुपये तक लेता था।
रैकेट का मास्टरमाइंड मजीद और अन्य शामिल
पुलिस ने कैलाश कोरी के घर पर छापेमारी के दौरान खुलासा किया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड मजीद नाम का व्यक्ति है, जो रद्दी चौकी क्षेत्र में रहता है। मजीद बिजली मटेरियल सप्लाई का काम करता था और बिजली विभाग से जुड़े होने के कारण उसे इस गड़बड़ी के बारे में पूरी जानकारी थी।
मजीद के घर पर जब पुलिस ने छापा मारा, तो वहां से बिजली कंपनी के कई दस्तावेज और मीटर में छेड़छाड़ करने के औजार बरामद किए गए। इसके अलावा, वहां से स्मार्ट मीटर की सील भी मिली, जो मीटर के नट के ऊपर लगाई जाती है। यह संकेत करता है कि मजीद इस गड़बड़ी के काम में गहराई से जुड़ा हुआ था और इस रैकेट का संचालन कर रहा था।
कानूनी कार्रवाई और गिरोह की जांच
घमापुर पुलिस ने कैलाश कोरी और मजीद के खिलाफ भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135, 138, 139, 150 और 151 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की भी जांच कर रही है ताकि पूरे गिरोह को पकड़कर इस अवैध गतिविधि को समाप्त किया जा सके।
समाज के लिए गंभीर खतरा
यह रैकेट न केवल बिजली कंपनी को वित्तीय नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि पूरे समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा था। बिजली चोरी से होने वाले नुकसान का असर पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, और इसका भार ईमानदार उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। ऐसे में इस रैकेट का खुलासा एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इस तरह की अवैध गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
स्मार्ट मीटरों का उद्देश्य बिजली की खपत को सही तरीके से मापना और बिजली चोरी को रोकना था, लेकिन इस रैकेट ने यह दिखा दिया कि किस तरह से तकनीकी उपकरणों में भी छेड़छाड़ की जा सकती है। पुलिस और बिजली विभाग की इस कार्रवाई से बिजली चोरी के खिलाफ एक बड़ा संदेश गया है, लेकिन अब इस रैकेट के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी और सख्त सजा सुनिश्चित करना आवश्यक है।