GAZA Updates: ग़ज़ा में हर दिन 28 बच्चों की मौत – एक पूरी क्लासरूम मिटा दी जाती है रोज़: संयुक्त राष्ट्र

ग़ज़ा – दुनिया के सबसे बड़े इंसानी ज़मीर की आवाज़ कहलाने वाला संयुक्त राष्ट्र (UN) अब ग़ज़ा की हकीक़त पर चीख़ रहा है:
“हर रोज़ औसतन 28 फ़िलिस्तीनी बच्चे इसराईल के हमलों में मारे जा रहे हैं – यानी एक पूरी क्लासरूम रोज़ मिटा दी जाती है।”
यूएन की एजेंसी यूनिसेफ़ (UNICEF) ने मंगलवार को सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में कहा:
“बमबारी से मौत। भुखमरी और कुपोषण से मौत। दवाओं और बुनियादी सेवाओं की कमी से मौत।”
“ग़ज़ा के बच्चों को फ़ौरन खाना, साफ़ पानी, दवा और हिफ़ाज़त की ज़रूरत है। मगर सबसे ज़्यादा उन्हें अभी युद्धविराम की ज़रूरत है।”
🧒 हर घंटे एक बच्चे की मौत
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़,
- 7 अक्टूबर 2023 से अब तक इसराईल के हमलों में 18,430 से ज़्यादा बच्चे शहीद हो चुके हैं।
- यानी हर घंटे एक मासूम जान ली गई है।
- कुल 60,933 फ़िलिस्तीनियों की मौत, और 1.5 लाख से ज़्यादा ज़ख़्मी हुए हैं।
🪦 “ग़ज़ा बच्चों का क़ब्रिस्तान बन गया है”
सेव द चिल्ड्रन नामी अंतरराष्ट्रीय NGO के रीजनल डायरेक्टर अहमद अलहेन्दावी ने कहा:
“आज ग़ज़ा बच्चों और उनके ख्वाबों का क़ब्रिस्तान बन गया है।”
“हर बच्चा एक ऐसा डरावना ख्वाब जी रहा है जिससे जागना मुमकिन नहीं। ये वो नस्ल है जो समझती है कि पूरी दुनिया ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है।”
🚫 भुखमरी और मेडिकल ब्लॉकेड भी जान ले रही है
- फ़िलिस्तीनी वज़ारते सेहत के मुताबिक़, अब तक 188 लोगों की मौत भुखमरी और कुपोषण से हुई है,
- जिनमें से 94 बच्चे और नवजात शिशु हैं।
- इसराईल लगातार खाद्य और मेडिकल सहायता को ग़ज़ा में दाख़िल होने से रोक रहा है।
🔥 यह जंग नहीं, एक नस्लकुशी है
ग़ज़ा की हालत अब जंग के दायरे से बहुत आगे निकल चुकी है।
ये एक ऐसा आधुनिक दौर का क़त्लेआम है, जो टीवी स्क्रीनों पर लाइव हो रहा है,
और दुनिया या तो चुप है या मुनाफ़ा कमा रही है।
🇮🇳 हिंदुस्तानी मुसलमानों के लिए पैग़ाम
यह सिर्फ फिलिस्तीन की नहीं, पूरे इंसानियत की कहानी है।
जब एक कौम के बच्चों को रोज़ बमों से उड़ाया जा रहा हो और दुनिया सिर्फ देख रही हो,
तो फिर सवाल सिर्फ इसराईल से नहीं, हम सबसे है।
क्या हम भी खामोशी के जुर्म में शरीक हैं?
📢 क्या किया जा सकता है?
- सोशल मीडिया पर #GazaUnderAttack, #CeasefireNow, #StopKillingChildren जैसे हैशटैग का इस्तमाल करें
- स्थानीय मस्जिदों, मदरसों और जलसों में ग़ज़ा की हालत पर रोशनी डालें
- भारतीय हुकूमत से मांग करें कि इसराईल पर सख़्त पोज़ीशन ले
- बाज़ मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स को मज़बूत बनाएं जो ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं
“एक बच्चे की मौत सिर्फ एक मौत नहीं — वो पूरी इंसानियत की शिकस्त है।”
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