(जबलपुर) आर्मी मुख्यालय मध्य भारत एरिया ने 200 वर्षों का सफर पूरा किया: विशेष डाक टिकट जारी
जबलपुर: आर्मी मुख्यालय मध्य भारत एरिया ने अपने 200 साल पूरे कर लिए हैं। इस विशेष अवसर पर, लेफ्टिनेंट जनरल पीएस शेखावत ने मुख्यालय परिसर में आयोजित समारोह में एरिया के गौरवमयी इतिहास पर प्रकाश डाला। इस दौरान एक स्मृति डाक टिकट भी जारी किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल शेखावत ने बताया कि मध्य भारत एरिया में मध्यप्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। यह क्षेत्र भूभाग के हिसाब से भारत का लगभग 30 फीसदी हिस्सा कवर करता है और यहां सेना की लगभग 40 फीसदी मैन पॉवर की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह एरिया देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो न केवल सैनिकों की संख्या में, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अपनी अहमियत रखता है।
ब्रिटिश काल से स्वतंत्रता तक का सफर
जनरल शेखावत ने बताया कि ब्रिटिश काल में इस क्षेत्र में 52 अधिकारी सेवा में थे, जबकि स्वतंत्रता के बाद से अब तक 42 जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) नियुक्त किए जा चुके हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आर्मी मुख्यालय की मुख्य जिम्मेदारी देश की आंतरिक सुरक्षा है, जो इसे सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संस्थान बनाता है।
अग्निवीरों के लिए प्रशिक्षण केंद्र
इस अवसर पर जनरल शेखावत ने आर्मी मुख्यालय में स्थापित 11 प्रशिक्षण केंद्रों का भी जिक्र किया, जहां वर्तमान में अग्निवीरों को आवश्यक कौशल सिखाया जा रहा है। ये केंद्र नई भर्ती प्रणाली के तहत युवाओं को सैनिक बनने की ट्रेनिंग प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में 17 वर्कशॉप और आयुध निर्माणियां भी हैं, जो भारतीय सेना की सामरिक दक्षता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अग्निवीरों के भविष्य का आश्वासन
कार्यक्रम में पूर्व जीओसी एनके दास ने भी भाग लिया और अग्निवीरों की भर्ती प्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली सही सैनिकों को चुनने में मदद कर रही है और इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। दास ने उल्लेख किया कि सरकार ने अग्निवीरों के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पेंशन वाली नौकरी देने का वादा किया है, जिससे लोगों की चिंताएं कम हुई हैं। उन्होंने कहा, “इसका पहला टेस्ट 2026 में होगा, जो अग्निवीरों के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा।”
निष्कर्ष
इस तरह, आर्मी मुख्यालय मध्य भारत एरिया ने अपने 200 साल के गौरवमयी इतिहास का उत्सव मनाने के साथ-साथ भारतीय सेना की नई दिशा और अग्निवीरों के बेहतर भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। यह आयोजन न केवल अतीत की याद दिलाता है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं का भी संकेत देता है।