वक्फ बिल के लिए आरएसएस से राय मांग रही JPC, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई नाराजगी
वक्फ संशोधन बिल 2024 पर विचार के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के चेयरमैन बीजेपी नेता जगदंबिका पाल के रवैये और काम के तरीके से नाराज विपक्षी सदस्यों ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी समिति के तरीके और रवैये पर सवाल उठाए हैं।
एक बयान में बोर्ड ने कहा कि वक्फ से जुड़ी संयुक्त संसदीय समिति संविधान और संसदीय नियमों की अनदेखी कर रही है, जिससे बोर्ड को गहरी चिंता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रशीद इलियास ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जेपीसी को सिर्फ संबंधित पक्षों से ही राय लेनी चाहिए थी, लेकिन वह न सिर्फ केंद्रीय मंत्रालयों, पुरातत्व विभाग, बार काउंसिल और आरएसएस की अन्य शाखाओं से राय मांग रही है, बल्कि ऐसे संस्थानों को भी बुला रही है जिनकी समाज में कोई अहमियत नहीं है।
इसके पहले, जेपीसी में विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखकर चेयरमैन के व्यवहार पर सवाल उठाए थे। मंगलवार को फिर से छह विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष को पत्र भेजा और चेयरमैन के निरंकुश रवैये की शिकायत की। उनका आरोप है कि समिति की बैठकें इतनी जल्दी-जल्दी बुलाई जा रही हैं कि उन्हें प्रस्तुत किए गए सुझावों पर चर्चा करने का मौका भी नहीं मिल रहा।
डॉ. इलियास ने यह भी कहा कि वक्फ बिल के मामले में ऐसे लोगों को बुलाया जा रहा है जो इससे जुड़े नहीं हैं, ताकि बिल का समर्थन करने वालों से ज्यादा से ज्यादा राय ली जा सके। जब यह बिल लोकसभा में पेश किया गया था, तब विपक्षी सांसदों और कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया था। इसलिए इसे जेपीसी के पास भेजा गया। हमारी मांग है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मान्यता प्राप्त मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को गंभीरता से सुना जाए और गैर-संबंधित लोगों की राय को नजरअंदाज किया जाए।
समिति को भी चाहिए कि वह जल्दबाजी में स्पीकर के पास कोई रिपोर्ट न भेजे, बल्कि सभी सदस्यों से अच्छी तरह विचार-विमर्श कर कोई फैसला ले। हम उम्मीद करते हैं कि किसी भी निर्णय में लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का ध्यान रखा जाएगा।