
संभल काण्ड को यूपी सरकार की मनमानी का नतीजा बताते हुये एपीसीआर जबलपुर सहित विभिन्न संगठनों ने जबलपुर में घटना की निष्पक्ष जांच और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने मांग के साथ प्रदर्शन किया।
सिविक सेंटर में आयोजित धरने में ऐसोसियेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR), मूवमेंट फार पीस एंड जस्टिस, एसडीपीआई सहित करीब आधा दर्जन संगठनों के प्रतिनिधिक कार्यकर्ता एवं आमजन उपस्थित थे.
जिनमें मोहम्मद मेहदी, ओपी यादव, इरफानुल हक अंसारी, अमित पांडेय, शाहफेसल, अनवार वकील, जुनैद मोमिन, शाहिद अहमद, शोनू, सिराज मंसूरी, खुर्शीद अहमद और अन्य शामिल थे।
मोहम्मद मेहदी, जो कि एपीसीआर के जबलपुर शाखा के सचिव हैं, ने घटना को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह घटना एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा लग रही है। उनका कहना था कि पहले ही शांतिपूर्ण तरीके से एक सर्वे पूरा हो चुका था, ऐसे में दोबारा सर्वे की आवश्यकता क्यों पड़ी? उन्होंने सवाल किया कि छुट्टी के दिन, सुबह-सुबह, बिना किसी पूर्व सूचना के नारेबाजी करने वाले लोग सर्वे टीम के साथ क्यों आए? इस संदर्भ में उन्होंने पुलिस द्वारा आम लोगों पर गोलीबारी की घटनाओं की भी आलोचना की। इन सभी तथ्यों को जोड़ते हुए मोहम्मद मेहदी ने इसे पूर्व नियोजित साजिश मानते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
इरफानुलहक अंसारी ने इस घटना में मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा देने की भी अपील की है। उन्होंने कहा यह घटना न केवल साम्प्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित करती है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप अनगिनत परिवारों का जीवन भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में मृतक के परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए, ताकि उनके दुःख में कुछ राहत मिल सके।
गौरतलब है कि सम्भल जिले में 24 नवम्बर को जामा मस्जिद क्षेत्र में सर्वे के दौरान विवाद उत्पन्न हुआ, जिसमें पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई.

निष्पक्ष जांच की मांग …
ज्ञापन में एपीसीआर के कार्यकर्ताओं ने घटना की जांच की निष्पक्षता पर जोर दिया और अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने घटना की पूरी जांच करने के लिए एक न्यायिक आयोग की स्थापना की मांग की है ताकि यह साफ हो सके कि क्या यह एक सुनियोजित साजिश थी या फिर एक सामान्य स्थिति का परिणाम।