
जब एक तरफ धर्मों के बीच दूरी बढ़ाने के प्रयास खुलेआम हो रहे हैं. तब धर्मों के बीच दूरी कम कर मोहब्बत बढ़ाने का अनूठा प्रयास मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के गोहलपुर में किया गया. जहां सर्वधर्म एकता संगोष्ठी में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाइ, बौध्द धर्म के धर्मगुरु शामिल हुये और सर्वधर्म एकता और सद्भाव का संदेश दिया.
रविववार दोपहर जमाअते इस्लामी जबलपुर द्वारा “ईश्वर की परिकल्पना विभिन्न धर्मों में” के विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन गोहलपुर के समीप स्थित ईदगाह कम्पाउंड में किया गया.
कार्यक्रम का सफल संचालन शकील अहमद साहब ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में इफ्तिखार अहमद साहब सहित जमाअत इस्लामी, एसआईओ के सदस्यों का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुरआन की आयत से हुआ, जिसे सैयद अकरम अली साहब ने पढ़ा। इसके बाद, विभिन्न धर्मों के वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें उन्होंने ईश्वर की परिकल्पना और समाज में धार्मिक सहिष्णुता के महत्व पर जोर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जमात इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमीनुल हसन साहब की. उन्होंने कहा, “आज दुनिया की बड़ी आबादी किसी ईश्वर में आस्था नहीं रखती। हमें उन लोगों को ईश्वर के अस्तित्व और उसके महत्व के बारे में बताने की आवश्यकता है।” उन्होंने भारत की विविधता को एक फूलों के गुलदस्ते की तरह बताया और कहा कि भारत को एक रंग में रंगने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इस्लाम में ईश्वर की परिकल्पना के बारे में बात करते हुए कुरान की सूरह इखलास का पाठ किया और उसका अर्थ प्रस्तुत किया, जिसमें ईश्वर की शुद्ध और निराकार परिकल्पना का उल्लेख है।
सद्भावना मंच का संदेश
सद्भावना मंच से आए एडवोकेट ओ पी यादव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सभी धर्मों में ईश्वर की परिकल्पना पाई जाती है और हमें भारतीय संविधान के अंतर्गत सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने समाज में नफरत फैलाने वालों से सावधान रहने की अपील की और कहा कि हम सभी का कर्तव्य है कि हम नफरत के खिलाफ खड़े हों।

मानव धर्म का दृष्टिकोण
मानव धर्म से आए राजेश राव ने कहा कि धार्मिक क्रियाएं तब तक प्रभावी नहीं हो सकतीं जब तक उनमें मानवता का भाव न हो। उन्होंने कहा कि अगर हमें ईश्वर को पाना है तो उसके लिए हमें शुद्धिकरण की प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनके अनुसार, ईश्वर की परिकल्पना केवल एक बाहरी रूप नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता की आवश्यकता है।
गायत्री परिवार का संदेश
गायत्री परिवार से आए डॉक्टर सी के पटेल ने भगवद गीता के आठवें अध्याय का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर निराकार, अनादी और नश्वर है। उन्होंने वसुदेव कुटुंबकम का उल्लेख करते हुए कहा कि ईश्वर का संसार एक परिवार के समान है, जहां हर प्राणी का एक दूसरे से गहरा संबंध है।

ईसाई समाज का संदेश..
ईसाई धर्म से जुड़े ऐंड्रीस सोनी (पास्टर) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ईसा मसीह का उद्देश्य धरती पर धर्म परिवर्तन नहीं था, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य पापियों का उद्धार और उन्हें नेक बनाना था। उन्होंने बाइबल का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया, उनसे हमें क्षमा मांगनी चाहिए।
इस्लाम का पैगाम..
सैयद अहमद अली साहब ने कहा कि सामाजिक न्याय तभी संभव है जब हम अल्लाह के दीन पर चलते हुए इंसाफ की राह अपनाएं। उन्होंने इस दुनिया को एक परीक्षा के रूप में चित्रित किया और कहा कि हमें जीवन में हर दिन एक परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसका परिणाम हमें मृत्यु के बाद मिलेगा।
सिख समाज संदेश..
सिख धर्म के अंतरराष्ट्रीय प्रचारक सरदार गुरमीत सिंह ने कहा कि ईश्वर दिखता नहीं है, उसे खोजने के लिए इंसान को अपनी बंदगी करनी होती है। उन्होंने कहा कि ईश्वर वह शक्ति है जो किसी को भी पलभर में उसकी स्थिति से बदल सकता है। उन्होंने गुरु नानक के संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी इंसान एक हैं, और हमें इस सत्य को समझने की आवश्यकता है।

गुलाम रसूल साहब का उद्घाटन भाषण
कार्यक्रम का प्रारंभ जमात इस्लामी हिंद के नाजिम ए शहर जनाब गुलाम रसूल साहब के वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा, “आज देश के वर्तमान हालात के मद्देनजर इस प्रकार के कार्यक्रमों की बड़ी आवश्यकता थी, ताकि हम आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा दे सकें। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि, लोगों में एक-दूसरे के धर्म के प्रति समझ पैदा हो और समाज में बनी हुई दूरियां समाप्त हो सकें।”