
रिपोर्ट, आरिफ खान, जबलपुर। इल्म और रूहानियत के मरकज़, दारुल उलूम अहले सुन्नत जबलपुर का 52वां सालाना दस्तारबंदी जलसा इस साल भी अपनी पुरानी रिवायत को बरकरार रखते हुए शानदार और पुरवकार तरीके से मुनअकिद होने जा रहा है।
यह मुबारक तक़रीब 13 फरवरी 2025, जुमेरात को मंडी मदार टेकरी मैदान, जबलपुर में नज़्म व ज़ब्त के साथ अंजाम दी जाएगी। इस पुरनूर महफ़िल की सदारत जानशींने मोहद्दिसे आज़म-ए-हिंद व अमीरे मिल्लत वा जानशींने सूफ़ी-ए-हिंद हजरत सैयद हसन असकरी अशरफ अशरफी अल जीलानी साहब फरमा रहे हैं।
गौरतलब है कि दारुल उलूम अहले सुन्नत जबलपुर का यह सालाना जलसा सिर्फ एक तकरीब नहीं, बल्कि दीनी और इल्मी तरबियत का एक अहम मरहला होता है। इस जलसे में तालिब-ए-इल्म अपनी तालीम मुकम्मल करने के बाद दस्तार-ए-फज़ीलत से नवाजे जाते हैं। यह एक आलमी रिवायत है कि जब किसी तालिब-ए-इल्म को इल्म-ए-दीन की मुकम्मल तालीम हासिल होने के बाद दस्तारबंदी की रस्म अदा की जाती है, जो इस बात की अलामत होती है कि अब वह इस्लामी इल्म का अलमबरदार बन चुका है और दीन की ख़िदमत का अहद करता है।
जलसे में मेहमाने खुशुसी जानशींने बाबा ऐ मिल्लत सूफ़ी फारूक लकड़वाला साहब(मुम्बई)शिरकत करेंगे.
इस पुरनूर जलसे ख़ुसूसी मेहमान मुफ्ति मो.मुईनुद्दीन अशरफी साहब (रामपूर), हाफिज पीर नवाज साहब (पूना) हजरत मौलाना सैयद अबरार बापू साहब (आनंद गुजरात) से तशरीफ ला रहे हैं।
जलसे के दौरान नात-ओ-मनकबत की पुरकैफ महफ़िल भी सजेगी, जिसमें मुल्क के मशहूर नातख्वान सैयद नौशाद अशरफी साहब (गाडरवारा) और मो.शाहिर साहब (लहसुई कोतमा)अपने अंदाज में अकीदत के फूल बिखेरेंगे।
नसीहत और इबरत से भरी यह तकरीब एक बार फिर इमान और इस्लाह की राह को रोशन करेगी।
मुतवल्ली मो.तौहीद अशरफी और कमेटी ने तमाम अकीदतमंदों से दरख्वास्त कि है इस जलसे में शिरकत करके दीनी बरकतों से मालामाल हों।