
जैसे ही अफ्तार का समय करीब आया रोजेदार मंदिर पहुंचने लगे, जिनका गेट पर खड़े होकर हिन्दू पंडितों और श्रृध्दालुओं ने इस्तकबाल किया.
कासरगोड, केरल: देश में जहां एक ओर धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिक नफरत की घटनाएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर केरल के कासरगोड जिले ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। यहां एक मंदिर ने रमजान के महीने में मुसलमानों के लिये इफ्तार का आयोजन किया, जिससे धार्मिक सद्भाव की एक नई मिसाल कायम हुई है। इस आयोजन ने पूरे राज्य में एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया।
यह इफ्तार कासरगोड के एक प्रमुख मंदिर में हुआ। मंदिर प्रशासन ने फैसला लिया कि इस बार इफ्तार का आयोजन मंदिर परिसर में किया जाएगा, ताकि एकता और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया जा सके। मंदिर समिति ने न सिर्फ अपने श्रद्धालुओं के लिए भोजन का आयोजन किया, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए भी इफ्तार का प्रबंध किया। मंदिर में आयोजित इस सहभोज कार्यक्रम को देखकर स्थानीय लोग और आने वाले काफी प्रभावित हुए।
अफ्तार को दिल को छूने वाला मंजर…

जैसे ही अफ्तार का समय हुआ रोजा रखने वाले मुस्लिम मंदिर में पहुंचने लगे। वहां मौजूद उनका हिन्दू श्रृध्दालुओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
स्थानीय निवासी मुनव्वर अली शहाब ने इस आयोजन का अनुभव सोशल मीडिया पर साझा किया और लिखा, “यह समारोह सच में बहुत खूबसूरत था। इस तरह के आयोजनों से हम सभी को एकजुट होने का अवसर मिलता है।”
इस अवसर पर न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि आसपास के इलाकों से भी मुसलमानों को आमंत्रित किया गया था। कासरगोड, नीलेश्वरम, पालिकारा और थरकरीपुर जैसे स्थानों पर भी इस तरह के आयोजन हुए। मंदिर समिति के सदस्य व्यक्तिगत रूप से मस्जिदों में जाकर खाद्य सामग्री वितरित करने पहुंचे, जिससे दोनों समुदायों के बीच संबंध और मजबूत हुए।
इस इफ्तार कार्यक्रम में राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए, जिनमें कांग्रेस के नेता राजमोहन अनंत प्रमुख थे। उनके अलावा, अन्य राजनीतिक हस्तियों ने भी इस आयोजन का समर्थन किया और इसे धार्मिक सद्भाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
गौरतलब है कि इसके अलावा, कुछ दिन पहले ब्राचेरी मस्जिद समिति ने कालेरी मांड्या कलवारा जुलूस का स्वागत किया था, जबकि उल्मारा मस्जिद ने पेरुमकलीअट्टम उत्सव में बैनर लगाकर अपना समर्थन दिखाया था। इन घटनाओं ने पूरे इलाके में सामूहिक एकता को बढ़ावा दिया और यह संदेश दिया कि राजनीति और धर्म से ऊपर जाकर, समाज को एकजुट किया जा सकता है।