जबलपुर में शुरु हुई आसान निकाह मुहिम की पूरे मध्य प्रदेश में चर्चा

“हम दहेज की लानत से पाक मुस्लिम समाज बनाएंगे” का पैगाम लेकर उठे गोहलपुर क्षेत्र के नौजवानों की मुहिम आज पूरे जबलपुर में सराही जा रहा है।
मुस्लिम क्षेत्रों में लगे आसान निकाह मुहिम के बैनर्स और उनपर लिखे पैगाम.. आज हर खास ओ आम में चर्चा का मौजू हैं।
आमजन इन बैनर्स को देख रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं, इनकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं।

जमाअते इस्लामी हिन्द जबलपुर सेंट्रल के जेरे अहतिमाम आसान निकाह मुहिम चलाई जा रही है।
40 रोजा इस मुहिम का मकसद समाज में शरई हद में रहते हुये निकाह करने के पैगाम को आम करना है। हर तरह की फिजूल खर्ची को रोकने, हर तरह फिजूल रिवाज को रोकने, दहेज जैसी लानत से दूर रहते हुये निकाह करने और निकाह को आसान बनाने का पैगाम इस मुहिम के अंतर्गत दिया जा रहा है।

40 दिन चलेगी मुहिम…
जमाअते इस्लामी हिन्द जबलपुर सेंट्रल के अध्यक्ष वकार अहमद ने बताया,
“जमाअते इस्लामी द्वारा आसान निकाह मुहिम की शुरुआत की गई है। यह मुहिम 26 अप्रैल से शुरु हुई है जो 4 जून तक जारी रहेगी।”
उन्होंने बताया, मुहिम में हम दहेज जैसी लानत के खिलाफ फिजा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही निकाह में होने वाली फिजूलखर्ची और नुमाईश, फिजूल रस्मो रिवाज को रोकने जागरुकता अभियान चला रहें हैं। निकाह को लेकर इस्लामी तरीका क्या है उसकी जानकारी आम कर रहे हैं।

मुहिम के तीन पैगाम
दहेज गैर इस्लामी रस्म…
मुहिम के दौरान यह बताने की कोशिश की जा रही है कि दहेज एक खालिस गैर इस्लामी रस्म है। जिसकी वजह से समाज में गरीबी, मुफ्लिसी बढ़ रही है। निकाह मुश्किल हो रहा है। गरीब और मध्यम वर्ग की जिंदगी भर की जमा पूंजी बेटी की शादी में सर्फ हो रही है। हजारों बहनों के निकाह नहीं हो पा रहे हैं। समाज में बेहयाई बढ़ रही है। इस सबकी बुनियादी वजह दहेज जैसी गैर इंसानी लानत है। जिसका बायकाट करने की आवाज लगाई जा रही है।

निकाह मस्जिद में करो…
मुहिम का दूसरा पैगाम यह है कि निकाह मस्जिद में करो, क्योंकि मस्जिद में निकाह करना सुन्नत है। मस्जिद में निकाह होने से खैरबरकत आती है। जब एक इंसान मस्जिद में निकाह करता है तो वो फिजूल रसमो रिवाज, बेहयाई, बेपर्दी, बम पटाखे डीजे आदि से खुद ही रुक जाता है। वहीं इससे लाखों रुपये का फिजूल खर्च भी रुक जाता है।

रिश्तों में दीनदारी देखो…
मुहिम का तीसरा पैगाम है कि फेशन परस्ती की अंधी दौड़ मत करो। बेहयाई की रेस मत लगाओं। रिश्तों की तलाश में दीनदार को तरजीह दो।

वलीमे के अलावा सारे खाने बंद करो
मुहिम में चौथा पैगाम यह है कि इस्लाम में निकाह में सिर्फ एक खाने का जिक्र है, वो है वलीमे का खाना..। इसके अलावा जितने तरह के खाने शादी के दौरान किये जाते हैं, सब फिजूल खर्ची में आते है। मुहिम का पैगाम है कि लड़की वालों पर बोझ कम करो, लड़की का खाना, बारात का खाना सब खत्म करो। वलीम हुजूर नबी करीम सल्ल. की सुन्नत है.. वलीमा करो।
Ham aapki is pehel se bahut khush hen