जबलपुर में मोहर्रम की शुरुआत: आज 27 जून को रही मोहर्रम की पहली तारीख, 6 जुलाई को होगा यौम-ए-आशूरा, एकता की मिसाल बना शहर

जबलपुर। इस्लामी नववर्ष हिजरी 1447 की शुरुआत जबलपुर में पूरे धार्मिक जोश और आस्था के साथ हो चुकी है। मोहर्रम के पवित्र महीने की पहली तारीख 27 जून, शुक्रवार को पड़ी, जिसकी आधिकारिक पुष्टि मुफ्ती-ए-आज़म मध्यप्रदेश हज़रत मौलाना डॉक्टर मुशाहिद रज़ा कादरी बुरहानी ने की। उन्होंने एक बयान जारी कर बताया कि 26 जून को जबलपुर में चाँद नज़र नहीं आया था, लेकिन अन्य स्थानों से चाँद दिखने की शरई शहादतें मिलने के बाद मोहर्रम की घोषणा की गई। इस अनुसार, यौम-ए-आशूरा, यानी 10 मोहर्रम, इस वर्ष रविवार, 6 जुलाई को मनाया जाएगा।
धार्मिक उत्साह के साथ हुआ परचम कुशाई का आयोजन

मोहर्रम की शुरुआत के साथ ही जबलपुर शहर की गली-गली, मोहल्लों और इमामबाड़ों में परचम कुशाई की रस्म अदा की जा रही है। नया मोहल्ला स्थित हुसैन चौक में बज्मे गुलशने मदीना के तत्वावधान में नमाज़-ए-मगरिब के बाद ध्वज स्थापना (परचम कुशाई) की गई। इस अवसर पर सलातो सलाम और दुआएं पेश की गईं। इसके बाद बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने लंगर में भाग लिया।
कार्यक्रम में हाफिज सिराजुल हसन, हाफिज मोहम्मद वारिस, हाफिज सलाउद्दीन और हाफिज मोहम्मद तारिक ने करबला के शहीदों की शान में मनकबत पेश की। इस मौके पर शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिनमें खालिद मुबीन, शाहिद मुबीन, पप्पू वसीम खान, तारिक राजा, बंटी खान, सलीम नूरी और नकी खान प्रमुख रहे।
गढ़ा सुपाताल स्थित हसनी हुसैनी सोसायटी ने भी रात 9 बजे इमाम हुसैन की याद में परचम कुशाई की रस्म अदा की। आयोजन में प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद सोहेल मोनू, समर शाहरुख, सैफ खालिक और फैज समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस अवसर पर भाईचारे, अमन और तरक्की के लिए विशेष दुआ की गई और लंगर ए आम का आयोजन भी किया गया।

शहर में कौमी एकता की मिसाल
जबलपुर में मोहर्रम केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं है। यहां हिंदू धर्मावलंबी भी इस पर्व में सवारियां निकालते हैं और अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यही कारण है कि मोहर्रम की रौनक शहर में धार्मिक समरसता और सामाजिक सौहार्द की मिसाल बन चुकी है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मोहर्रम में सभी समुदायों की भागीदारी देखने को मिल रही है।
शिया समुदाय में मजलिसों का सिलसिला शुरू
शिया मुस्लिम समाज के लिए मोहर्रम एक गहरा धार्मिक अनुभव है, जो शहादत और बलिदान की याद दिलाता है। इस अवसर पर शहर के विभिन्न इमामबाड़ों में मजलिसों का आयोजन हो रहा है:
- सुबह 10 बजे: आनंद नगर स्थित दाउद अली इमामबाड़े में मजलिस
- दोपहर: जैदी विला और जाहिद हुसैन इमामबाड़ों में महिलाओं के लिए विशेष मजलिसें
- शाम 7:30 बजे: बाबुल मुराद में मुख्य मजलिस
- रात्रि: गलगला स्थित शिया इमामबाड़े में मौलाना जाबिर अंसारी (लखनऊ) की तकरीर
इसके अतिरिक्त, इमामबाड़ा तत्तू भाई और फाज़िल हुसैन में भी मजलिसों का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ करबला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
आशूरा की तैयारी चरम पर
अब जबकि 10 मोहर्रम (यौम-ए-आशूरा) नजदीक है, तो ताजियादारी और मातमी जुलूसों की तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही हैं। इस दिन जबलपुर में भव्य जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शरीक होंगे।
