क्या मंदिर की ज़मीन पर बनी है मस्जिद ? जबलपुर की ‘मड़ई मस्जिद’ मामले में प्रशासन की रिपोर्ट से स्थिति हुई साफ । हर शहरवासी अमन और मोहब्बत के साथ…

जबलपुर की तहसील रांझी के ग्राम मड़ई स्थित मस्जिद को लेकर हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक सूचनाओं और आंदोलन की अपीलों के बीच प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया है कि मस्जिद का निर्माण पूरी तरह वैध है और उसे हटाने का कोई औचित्य नहीं है।
एसडीएम रांझी श्री आर. एस. मरावी ने बताया कि सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया जा रहा है कि 14 जुलाई को मस्जिद को हटाने के लिए महाआंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के भ्रामक और उत्तेजक प्रचार से कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है, लेकिन प्रशासन ने स्थिति की पूरी जांच के बाद वस्तुस्थिति स्पष्ट कर दी है।
एसडीएम ने यह स्पष्ट किया कि मस्जिद का निर्माण वैध भूमि पर है और उसे हटाने का प्रश्न ही नहीं उठता। आंदोलन करने वाले समूहों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा चुका है और उन्हें कानून व्यवस्था को बिगाड़ने से बचने की सलाह दी गई है।
प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें। मामले की कानूनी प्रक्रिया न्यायालय में प्रचलित है और किसी भी पक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अवसर प्रदान किया जा रहा है।
प्रशासन का आधिकारिक बयान यहां पढ़ें : https://www.facebook.com/share/p/1Y95atsWv2/
बाज मीडिया अपील : आइए, मिलकर नफरत के विरुद्ध मोहब्बत का हाथ थामें”
: धरती का कोई टुकड़ा जब इबादत की जगह बनता है — चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा या गिरजाघर — वह सिर्फ ईंट और पत्थर की इमारत नहीं रह जाता, बल्कि आस्था, उम्मीद और एकता का प्रतीक बन जाता है। मड़ई गांव की यह मस्जिद भी तीन दशकों से अधिक समय से न सिर्फ एक धार्मिक स्थल रही है, बल्कि आसपास के लोगों के बीच सह-अस्तित्व, शांति और भाईचारे की मिसाल बनकर खड़ी रही है। आज जब अफवाहों और गलतफहमियों के कारण तनाव की आशंका उत्पन्न हो रही है, तब यह याद दिलाना जरूरी है कि हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी विविधता में एकता है। कोई भी धर्म नफरत नहीं सिखाता। और जब प्रशासन ने खुद स्पष्ट किया है कि मस्जिद का निर्माण वैध पूरा विवाद केवल कागजी त्रुटियों के कारण है, तब हमें आगे बढ़कर एक-दूसरे को समझने, सुनने और साथ खड़े होने की ज़रूरत है — ताकि हमारी संस्कारधानी की एकता की खुशबू और मजबूत हो, और आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर, शांतिपूर्ण कल मिल सके।
विवाद का कारण – अतिरिक्त निर्माण कार्य
एसडीएम मरावी के अनुसार, मस्जिद में प्रथम तल पर अतिरिक्त निर्माण किए जाने के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने शिकायत दर्ज कराई थी कि यह निर्माण गायत्री बाल मंदिर संस्था की भूमि पर हो रहा है। इस शिकायत के आधार पर प्रशासन द्वारा मौके का निरीक्षण, राजस्व अभिलेखों की जांच तथा विस्तृत सीमांकन किया गया।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मड़ई गांव में स्थित उक्त मस्जिद का निर्माण वर्ष 1985 में हुआ था और यह किसी मंदिर को मस्जिद में बदलने जैसी किसी ऐतिहासिक विवाद से संबंधित नहीं है।
राजस्व दस्तावेज और बंदोबस्त की स्थिति
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 1990-91 के बंदोबस्त से पूर्व मूल खसरा नंबर 326 में कुल 8 बटांक थे, जिनमें से बटांक 326/6 (0.008 हेक्टेयर) और 326/7 (0.014 हेक्टेयर) भूमि सैफुद्दीन के नाम दर्ज थी। उस समय मौके पर मस्जिद निर्मित थी, परंतु नक्शे में उसका बटांकन नहीं किया गया था।
एक अन्य बटांक 326/4 (0.022 हेक्टेयर) भूमि गायत्री बाल मंदिर के नाम दर्ज थी। बाद में बंदोबस्त के दौरान खसरा नंबर 326 के इन बटांकों को नए नंबर (163 से 170) दिए गए, किंतु यह नंबर मौके के कब्जे के अनुसार नहीं बनाए गए। नवीन सर्वे नंबर 169, जो गायत्री बाल मंदिर संस्था के नाम दर्ज हुआ, वस्तुतः उस स्थान पर दर्शाया गया जहाँ पहले से ही मस्जिद स्थित थी।
कोई मंदिर या मंदिर भूमि का प्रमाण नहीं मिला
एसडीएम मरावी ने यह भी स्पष्ट किया कि मौके पर किसी भी समय मंदिर निर्मित होने या मंदिर की भूमि पर मस्जिद बनने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। जांच से यह सिद्ध हुआ है कि मस्जिद का निर्माण उस भूमि पर किया गया जो सैफुद्दीन के कब्जे और मालिकाना हक में थी।
नक्शा त्रुटि का मामला कलेक्टर न्यायालय में लंबित
चूंकि बंदोबस्त के दौरान नक्शा और बटांक नंबर कब्जे के अनुसार निर्मित नहीं किए गए, इसी त्रुटि के कारण वर्तमान विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई है। यह मामला कलेक्टर न्यायालय जबलपुर में त्रुटि सुधार हेतु प्रस्तुत किया गया है, जहाँ सभी हितधारकों की सुनवाई प्रक्रिया चल रही है। गायत्री बाल मंदिर संस्था के नाम दर्ज भूमि के लिए अभी तक कोई पक्षकार उपस्थित नहीं हुआ है।
प्रशासन का आधिकारिक बयान यहां पढ़ें : https://www.facebook.com/share/p/1Y95atsWv2/
