अब तहसील में नहीं लगेंगे चक्कर : जबलपुर जिले में राजस्व न्यायालयों का नया सेटअप लागू । अब न्यायिक कार्य सुबह 10 से शाम 6 बजे तक। अब तहसीलदार सिर्फ सुनेंगे केस !

राजस्व मामलों के त्वरित और पारदर्शी निपटारे की दिशा में जबलपुर जिले में एक नई न्यायिक व्यवस्था की शुरुआत हो गई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर आज से जिले के सभी 27 राजस्व न्यायालयों में न्यायिक कार्य अब प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक संचालित होगा
नए सेटअप के तहत अब न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों को स्पष्ट रूप से विभाजित कर दिया गया है। न्यायिक कार्यों के लिए नियुक्त तहसीलदार, प्रभारी तहसीलदार और नायब तहसीलदार अब केवल न्यायिक कार्य देखेंगे और इन्हें प्रशासनिक या अन्य गैर-न्यायिक कार्यों से मुक्त रखा जाएगा। किसी विशेष स्थिति में ही इन्हें जिला दंडाधिकारी की अनुमति से अन्य ड्यूटी दी जा सकेगी।
सभी तहसीलों में कार्यशालाओं के साथ हुआ शुभारंभ
आज पहले दिन जिले की सभी तहसीलों और उप-तहसील कार्यालयों में कार्यशालाएं आयोजित कर जनप्रतिनिधियों, अधिवक्ताओं, कर्मचारियों और पक्षकारों को इस नई व्यवस्था की जानकारी दी गई।
जबलपुर अनुविभाग की कार्यशाला में एसडीएम अभिषेक सिंह ने जिला पंचायत अध्यक्ष आशा गोटिया, जनपद अध्यक्ष चंद्र किरण गोस्वामी व अन्य जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में बताया कि इस नई व्यवस्था से राजस्व न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित होगी।
न्यायालयों की संख्या बढ़ाकर 27 की गई
नए ढांचे के तहत जिले में पहले मौजूद 22 राजस्व न्यायालयों की संख्या बढ़ाकर 27 कर दी गई है। अब कटंगी, पौंडा, बरगी, बरेला, बेलखेड़ा और चरगवां जैसी उप-तहसील क्षेत्रों में भी पूर्णकालिक न्यायालय स्थापित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के नागरिकों को भी न्यायिक सेवा सुलभ हो सकेगी।
विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सराहना

इस नई व्यवस्था का शुभारंभ जिले के प्रमुख विधायकों की उपस्थिति में हुआ।
- आधारताल तहसील में विधायक डॉ. अभिलाष पांडे ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार जताया।
- शहपुरा तहसील में विधायक नीरज सिंह ने कहा कि जबलपुर जिला प्रदेश में पहला है जहां यह व्यवस्था लागू हुई है।
- सिहोरा और कुंडम तहसीलों में विधायक संतोष वरकड़े ने कहा कि अब प्रकरणों का निपटारा शीघ्र होगा, जिससे आम जनता को बड़ा लाभ मिलेगा।
एक बड़ी सुधारात्मक पहल
यह नया सेटअप जबलपुर की राजस्व न्याय व्यवस्था को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और नागरिकों के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इससे पुराने लंबित प्रकरणों की सुनवाई को भी गति मिलेगी और आमजन को समय पर न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी।
अब जिले में 27 राजस्व न्यायालय
नई व्यवस्था के तहत जिले में राजस्व न्यायालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 27 कर दी गई है। इस विस्तार में कटंगी, पौंडा, बरगी, बरेला, बेलखेड़ा और चरगवां जैसे उप-तहसील क्षेत्रों में पूर्णकालिक पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। यह व्यवस्था खासकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के नागरिकों को न्यायिक सेवा के निकट लाने के उद्देश्य से की गई है।
न्यायिक अधिकारी अब सिर्फ कोर्ट का काम देखेंगे….
इस नए ढांचे में तहसीलदार, प्रभारी तहसीलदार और नायब तहसीलदार जो न्यायालयीन कार्यों के लिए नियुक्त किए गए हैं, केवल न्यायालयीन कार्य ही करेंगे। इन्हें अब सामान्य प्रशासनिक या अन्य गैर-न्यायिक कार्यों में नियुक्त नहीं किया जाएगा। इससे राजस्व प्रकरणों की सुनवाई और निर्णय में देरी नहीं होगी। कलेक्टर के आदेशानुसार, यदि विशेष परिस्थिति उत्पन्न होती है और गैर-न्यायिक कार्य के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं होता, तभी न्यायिक अधिकारी को जिला दंडाधिकारी की लिखित अनुमति से ड्यूटी पर लगाया जा सकेगा। वहीं, गैर-न्यायिक कार्यों जैसे कानून व्यवस्था, वीआईपी ड्यूटी, प्रोटोकॉल आदि के लिए अलग से राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, ताकि इन जिम्मेदारियों के निर्वहन में किसी प्रकार की बाधा न आए और न्यायालयीन कामकाज पर भी असर न पड़े।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह व्यवस्था कितनी स्थायी और प्रभावी साबित होती है।