
जबलपुर, 23 जुलाई 2025 | कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक संकट से जूझ रहे मध्यप्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं को तत्काल राहत देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मई 2020 से अगस्त 2023 तक बिजली बिलों के भुगतान में अस्थायी छूट दी थी। इस राहत योजना के तहत उपभोक्ताओं को यह सुविधा दी गई कि वे महामारी की अवधि के दौरान स्थगित बिजली बिल बाद में भुगतान कर सकें। लेकिन अब यह छूट सरकार और विद्युत विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
राहत योजना के अंतर्गत जहां हजारों उपभोक्ताओं ने राहत अवधि बीतने के बाद अपने बकाया बिलों का भुगतान किया, वहीं बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने इसे ‘लाइफ टाइम फ्री बिजली’ समझ लिया। करीब दो वर्षों से इन उपभोक्ताओं ने एक भी रुपया जमा नहीं किया, जिससे बिजली विभाग को भारी राजस्व घाटा हो रहा है।
🏠 जबलपुर शहर में घर-घर कार्रवाई शुरू
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सिटी सर्कल द्वारा जबलपुर के पाँचों संभागों में बकायेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जूनियर इंजीनियर शिवानी मिश्रा ने बताया कि बुधवार से एक अभियान की शुरुआत की गई है जिसमें पहले से नोटिस दिए जा चुके उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। विभाग की टीमें घर-घर जाकर मीटर निकाल रही हैं और बिजली सप्लाई पूरी तरह विच्छेद की जा रही है।
🔢 आंकड़े जो चौंकाते हैं
अधीक्षण यंत्री (एसई) संजय अरोड़ा ने जानकारी दी कि कोविड राहत अवधि में करीब ₹24.93 करोड़ की राशि स्थगित की गई थी। इनमें से 7,151 उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्होंने अक्टूबर 2023 से जुलाई 2025 तक एक भी किस्त नहीं भरी। इनमें अधिकांश घरेलू उपभोक्ता हैं। इन्हीं पर बुधवार को बड़ी कार्रवाई की गई।
इसके अलावा, विभाग के पास 81,201 अन्य उपभोक्ताओं की सूची तैयार है जिन पर भी बिजली बिल का भुगतान लंबित है। अधिकारियों के अनुसार, इन पर भी जल्द ही दूसरे चरण की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
⚠️ विद्युत विभाग की चेतावनी
बिजली विभाग ने पहले ही बकायेदारों को नोटिस जारी कर बिल जमा करने की चेतावनी दी थी। बावजूद इसके जिन उपभोक्ताओं ने भुगतान नहीं किया, उनके खिलाफ अब बिना किसी अतिरिक्त चेतावनी के सीधे कार्रवाई की जा रही है। विद्युत वितरण कंपनी ने स्पष्ट किया है कि राजस्व हानि और बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक हो गई है।