
भोपाल/जबलपुर। जबलपुर में पेयजल संकट और दूषित जल आपूर्ति की गंभीर समस्या ने विधानसभा का माहौल गरमा दिया। मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में जबलपुर पूर्व के विधायक लखन घनघोरिया ने इस मुद्दे को ज़ोरदार ढंग से उठाया और नगर निगम व नगरीय विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने दावा किया कि भोंगाद्वार जलशोधन संयंत्र (फिल्टर प्लांट) से गोबर और गंदगी मिली पानी की सप्लाई की जा रही है और प्लांट पर रसायन मिलाने का कार्य प्रशिक्षित केमिस्ट के बजाय एक चौकीदार द्वारा किया जा रहा है।
“फिल्टर प्लांट में मरा बंदर मिला था” – विधायक का चौंकाने वाला बयान
लखन घनघोरिया ने सदन में कहा, “एक बार सफाई के दौरान मरा हुआ बंदर तक प्लांट में मिला था। ऐसे हालात में शहर के लाखों लोगों को पीने का पानी दिया जा रहा है।”
उनका आरोप था कि नगर निगम और संबंधित विभाग पानी की शुद्धता को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं, और आम जनता की सेहत को जानबूझकर खतरे में डाला जा रहा है।

5 जलशोधन संयंत्र, फिर भी 12 वार्डों में जल संकट
सदन में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार जबलपुर में 5 जलशोधन संयंत्र हैं, जिनसे रोज़ाना 271 एमएलडी पानी का वितरण होता है। बावजूद इसके, शहर के 79 वार्डों में से 12 में जल संकट बना हुआ है। इनमें से 9 वार्ड विधायक घनघोरिया के क्षेत्र जबलपुर पूर्व में आते हैं।
विधायक ने आरोप लगाया कि “यह राजनीतिक भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है, जहां मेरे क्षेत्र में योजनाएं रोकी जा रही हैं।”
अमृत योजना फेज-2 में भी भेदभाव?
विधायक ने कहा कि अमृत योजना के तहत शहर में 18 नई जल टंकियों का निर्माण प्रस्तावित है, जिनमें से 4 टंकियां जबलपुर पूर्व क्षेत्र की हैं। “लेकिन आज तक स्वाइल टेस्ट तक नहीं कराया गया, भूमि पूजन के एक साल बाद भी सिर्फ पिलर खड़े हैं।”
उन्होंने इसे सरकार की लापरवाही और प्रशासनिक असमानता का प्रतीक बताया।
टैंकरों पर निर्भरता, पाइपलाइन सुधार में देरी
नगर निगम के पास पूरे शहर के लिए सिर्फ 26 टैंकर हैं। विधायक ने आरोप लगाया कि पाइपलाइन लीकेज होने पर उसे सुधारने में 10–12 दिन लग जाते हैं। “हम खुद अपने स्तर पर टैंकर की व्यवस्था कराते हैं, ड्राइवर तक उपलब्ध कराते हैं, पर सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता।”
व्यय और सफाई में भारी विसंगतियां
वर्ष 2020-21 से अब तक जल आपूर्ति पर 1 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष और केमिकल पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जबकि फिल्टर प्लांट की सफाई पर मात्र 23 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। विधायक ने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद जल की गुणवत्ता इतनी खराब क्यों है?
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का जवाब और हल्का-फुल्का मजाक

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने लंबा जवाब देते हुए कहा कि अमृत 2.0 के तहत 312 करोड़ रुपये की योजना पर काम चल रहा है और अगले दो वर्षों में समस्या समाप्त हो जाएगी।
हालांकि उन्होंने कुछ आरोपों पर मजाकिया अंदाज़ में प्रतिक्रिया दी –
“अब वो लखन हैं, मैं राम हूं।”
जिस पर विधायक घनघोरिया ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया –
“कृपा करो प्रभु, लेकिन स्वच्छ पानी भी तो दो।”
लेकिन मंत्री विजयवर्गीय “मरे बंदर, गोबर, और केमिस्ट के अभाव” जैसे गंभीर आरोपों पर कोई सीधा उत्तर नहीं दे पाए।
जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़?
इस पूरे मामले का सबसे गंभीर पक्ष यह है कि जबलपुर जैसे बड़े शहर में दूषित और रसायन-मिश्रित जल की आपूर्ति हो रही है। यह जनता के स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ है। शहर में अभी भी कई क्षेत्र बोरिंग और टैंकरों के सहारे हैं, जो शासन की पेयजल योजनाओं की पोल खोलता है।
विधायक लखन घनघोरिया की 5 प्रमुख मांगें:
- दूषित जल आपूर्ति की उच्चस्तरीय जांच।
- भोंगाद्वार जलशोधन संयंत्र में मरे जानवर और केमिकल संचालन में अनियमितताओं की विशेष जांच।
- तुरंत नई टंकियों और पाइपलाइनों के निर्माण की शुरुआत।
- राजनीतिक भेदभाव को समाप्त कर सभी क्षेत्रों में समान जल आपूर्ति।
- प्रशिक्षित केमिस्ट की नियुक्ति और मानक संचालन प्रक्रिया का पालन।